उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी जावीद अहमद के एक कथित व्हाट्सऐप मैसेज से विवाद पैदा हो गया है. दरअसल ये मैसेज जावीद अहमद ने लखनऊ से चल रहे एक व्हाट्स ग्रुप में तब लिखा जब नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का लेटर किसी ने ग्रुप में डाला. उसके जवाब में जावीद अहमद ने लिखा कि ‘अल्लाह की मर्जी, बुरा तो लगता है पर ‘M’ होना गुनाह है. यहां M का मतलब मुसलमान होने से लगाया जा रहा है.
बता दें कि सीबीआई निदेशक बनने की दौड़ में जो नाम शामिल थे, उनमे यूपी के पूर्व डीजीपी का नाम भी शामिल था।
बताया जा रहा है कि ये ग्रुप आधिकारिक रूप से आईपीएस अधिकारियों ने स्वयं नहीं बनाया है, लेकिन इस ग्रुप में उत्तर प्रदेश में काम कर रहे सौ से ज्यादा आईपीएस अफसर हैं.
आईपीएस ऑफिसर नाम के इस ग्रुप में जावीद अहमद ने ये मैसेज शनिवार शाम 5:40 पर लिखा, लेकिन बाद में इसे डिलीट भी कर दिया. जावीद अहमद ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया और किसी भी तरह का मैसेज लिखने से इंकार किया है.
बहरहाल इस बारे में ग्रुप मे दूसरे अफसर इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि जावीद की तरफ से ये मैसेज किया गया था लेकिन बाद में इसे डिलीट भी किया गया है. बता दें कि सरकार ने लंबे विवाद के बाद शनिवार को ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया डायरेक्टर नियुक्त किया.
बता दें कि शुक्ला 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जबकि अहमद 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस तरह श्री शुक्ला, अहमद से दो बैच सीनियर हुए। इसलिए केंद्र सरकार ने आरके शुक्ला को निदेशक की कुर्सी सौंपी।
अब आप खुद तय करिए क्या किसी प्रदेश के पुलिस प्रमुख के पद पर रह चुके व्यक्ति को ऐसी बातें करना शोभा देता है? अपने जीवन का अधिकतर समय प्राइम पोस्टिंग में गुजारने के बाद आखिर क्यों जावीद ने मुस्लिम या माइनोरिटी कार्ड खेला? क्या जावीद की इस शर्मनाक हरकत के लिए उनपर All India service conduct rules 1968 के तहत कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? यदि पुलिस मुखिया भी ऐसी बातें करने लगे तो फिर नेता और पुलिस में क्या अंतर रह जाएगा? अहमद की इस ओछी हरकत से कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों में क्या संदेश जाएगा? केंद्र सरकार को निश्चित ही इस अधिकारी के खिलफ जांच कराकर कठोर कारवाई करनी चाहिए।
बता दें कि सीबीआई निदेशक बनने की दौड़ में जो नाम शामिल थे, उनमे यूपी के पूर्व डीजीपी का नाम भी शामिल था।
बताया जा रहा है कि ये ग्रुप आधिकारिक रूप से आईपीएस अधिकारियों ने स्वयं नहीं बनाया है, लेकिन इस ग्रुप में उत्तर प्रदेश में काम कर रहे सौ से ज्यादा आईपीएस अफसर हैं.
आईपीएस ऑफिसर नाम के इस ग्रुप में जावीद अहमद ने ये मैसेज शनिवार शाम 5:40 पर लिखा, लेकिन बाद में इसे डिलीट भी कर दिया. जावीद अहमद ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया और किसी भी तरह का मैसेज लिखने से इंकार किया है.
बहरहाल इस बारे में ग्रुप मे दूसरे अफसर इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि जावीद की तरफ से ये मैसेज किया गया था लेकिन बाद में इसे डिलीट भी किया गया है. बता दें कि सरकार ने लंबे विवाद के बाद शनिवार को ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया डायरेक्टर नियुक्त किया.
बता दें कि शुक्ला 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जबकि अहमद 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस तरह श्री शुक्ला, अहमद से दो बैच सीनियर हुए। इसलिए केंद्र सरकार ने आरके शुक्ला को निदेशक की कुर्सी सौंपी।
अब आप खुद तय करिए क्या किसी प्रदेश के पुलिस प्रमुख के पद पर रह चुके व्यक्ति को ऐसी बातें करना शोभा देता है? अपने जीवन का अधिकतर समय प्राइम पोस्टिंग में गुजारने के बाद आखिर क्यों जावीद ने मुस्लिम या माइनोरिटी कार्ड खेला? क्या जावीद की इस शर्मनाक हरकत के लिए उनपर All India service conduct rules 1968 के तहत कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? यदि पुलिस मुखिया भी ऐसी बातें करने लगे तो फिर नेता और पुलिस में क्या अंतर रह जाएगा? अहमद की इस ओछी हरकत से कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों में क्या संदेश जाएगा? केंद्र सरकार को निश्चित ही इस अधिकारी के खिलफ जांच कराकर कठोर कारवाई करनी चाहिए।