खुदा कब किसे हिदायत दे दे, कोई नहीं जानता है. मुसलमानों का एखलाक और खुदा को राज़ी करने के तरीके को देखकर किसी भी मज़हब का इंसान खुद को प्रभावित होने से रोक नहीं पायेगा. आज हम आपको एक ऐसी ही सच्ची कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. यह घटना है फ़्रांस की, जहाँ सर्दियों का मौसम चल रहा था. कडाके की ठण्ड थी. इस बीच लड़कियां कार में बैठकर कहीं जा रही थी. रस्ते में उन्होंने एक जमात मिली, जो पैदा ही अपना सफ़र तय कर रही थी.
लड़कियों ने उन्हें देखकर गाड़ी रोकी. कार से बाहर आईं और अपने जेब से पैसा निकालकर उन्हें देते हुए बोला, कि ठण्ड बहुत है. आप लोग नेक इंसान लगते हैं. आप लोग सवार हो जाएँ. कोई सवारी कर लें. आपको बता दें कि यूरोप में जमाअतें पैदल चलती हैं. लड़कियों की बात सुनकर जमात में शामिल लोगों ने कहा कि पैसे तो हमारे पास भी हैं. जवाब सुनकर लड़कियों ने कहा कि फिर आप लोग पैदा क्यों चल रहे हैं. इसके बाद उन्होंने जो जवाब दिया,
उसने उन लड़कियों को काफी प्रभावित किया. उन्होंने कहा है कि हम अपने खुदा को राज़ी करने के लिए पैदल चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ताकि खुदा बन्दों से राज़ी रहे और उसके बंदे सही रास्ते पर चलें. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हम पैदा चल रहे हैं औ हम सभी के लिए दुआ करते हैं. लड़कियों ने कहा कि क्या आप लोग हमारे लिए भी दुआ करते हो. जमात वालों ने कहा कि हम सारी इंसानियत के लिए दुआ करते हैं. लड़कियों ने कहा कि,
यह काम तो नबी का है जैसा की हमारी किताबों में लिखा है. उनकी बात सुनकर जमात वालों ने कहा कि बहन हम नबी नहीं हैं. हम उस नबी की उम्मत हैं और अब नबी के पैगाम को आगे बढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी है. इतना सुनना था कि दोनों लड़कियों ने उसी वक़्त इस्लाम अपना लिया और मुसलमान बन गईं. यह कहानी पढ़कर हमें अपना एखलाक अच्छा रखना चाहिए सभी के साथ, जोकि हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है.