दिमाग भले आई.एस.आई और पाकिस्तान में बैठे आतंक के आक़ाओं के हों, आतंक को ज़मीन पर उतारने वाले हमारे अपने ही देश के युवा हैं। घाटी में सक्रिय ज्यादातर आतंकी कश्मीरी हैं।
आतंकियों के समर्थन में सुरक्षा बलों पर पत्थर चलाने वाले भी कश्मीरी हैं। अलगाववाद का समर्थन करने वाले, पाकिस्तान के पैसे से आतंक और भारत विरोधी गतिविधियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष संचालन करने वाले और हाथों में पाकिस्तानी झंडे देकर पत्थरबाजों की फौज खड़ी करने वाले हुर्रियत के तमाम लोग कश्मीरी हैं।
पिछले तीन दशकों का अनुभव बताता है कि सरकार किसी भी दल की हो, कश्मीर को कत्लगाह में तब्दील कर डालने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाना उनके बस की बात नहीं रही है।
इसके लिए इंदिरा गांधी जैसी एक दबंग नेता की ज़रूरत है जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कहीं नहीं दिखता। हां, हमारी सरकार यदि चाहे तो अपना घर ज़रूर ठीक कर दे सकती है।
अगर कश्मीर घाटी में आतंकियों के ख़ात्मे का अभियान जारी रखने के अलावा हुर्रियत के सभी गुटों को प्रतिबंधित करने के बाद उनके तमाम नेताओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ कर सरकार उन्हें देश के दूरदराज के जेलों में डाल सके तो घाटी की अस्सी प्रतिशत समस्या का फ़ौरी समाधान संभव है। क्या अपनी सरकार से हम इतनी भी उम्मीद नहीं करें ?
ध्रुव गुप्त
आतंकियों के समर्थन में सुरक्षा बलों पर पत्थर चलाने वाले भी कश्मीरी हैं। अलगाववाद का समर्थन करने वाले, पाकिस्तान के पैसे से आतंक और भारत विरोधी गतिविधियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष संचालन करने वाले और हाथों में पाकिस्तानी झंडे देकर पत्थरबाजों की फौज खड़ी करने वाले हुर्रियत के तमाम लोग कश्मीरी हैं।
पिछले तीन दशकों का अनुभव बताता है कि सरकार किसी भी दल की हो, कश्मीर को कत्लगाह में तब्दील कर डालने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाना उनके बस की बात नहीं रही है।
इसके लिए इंदिरा गांधी जैसी एक दबंग नेता की ज़रूरत है जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कहीं नहीं दिखता। हां, हमारी सरकार यदि चाहे तो अपना घर ज़रूर ठीक कर दे सकती है।
अगर कश्मीर घाटी में आतंकियों के ख़ात्मे का अभियान जारी रखने के अलावा हुर्रियत के सभी गुटों को प्रतिबंधित करने के बाद उनके तमाम नेताओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ कर सरकार उन्हें देश के दूरदराज के जेलों में डाल सके तो घाटी की अस्सी प्रतिशत समस्या का फ़ौरी समाधान संभव है। क्या अपनी सरकार से हम इतनी भी उम्मीद नहीं करें ?
ध्रुव गुप्त