पाकिस्तान की सरज़मीं पर जब भारतीय वायुसेना अपने लापता पायलट का पता लगाने की कोशिशें कर रही थी और पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन का वीडियो जारी कर भारतीय पायलट के अपने कब्जे में होने का दावा कर रहा था, तब देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भाजपा के एक राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. देश के लोग पायलट के साथ पाकिस्तानी लोगों की मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते देख रहे थे, और उधर भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी वीडियो कॉफ्रेंसिंग- मेरा बूथ, सबसे मज़बूत का विज्ञापन किया जा रहा था.
निःसंदेह भारतीय अर्धसैनिकबलों की शहादत और सीमा पर तनाव के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रमों पर कोई फर्क पड़ता नज़र नहीं आ रहा है, सत्तापक्ष और सत्तासीन पार्टी, भाजपा पर विपक्ष की ओर से यह आरोप सीधे-सीधे लगाया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि भाजपा और मोदी सरकार पाकिस्तान के साथ तनाव का राजनीतिक इस्तेमाल करने और चुनाव में इसका फायदा अर्जित करने में जुटी हुई है.
विपक्ष के पास इस आरोप के लिए अपने तर्क हैं. जिस वक्त देश के एक बड़े हिस्से में हवाई सेवाएं ठप्प थीं, कई हवाई अड्डों को हाईअलर्ट पर रखा गया था और सीमापार से ज़ोरदार गोलाबारी हो रही थी, टैंकों तक का इस्तेमाल हो रहा था, गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बिलासपुर में राजनीतिक कार्यक्रम पूरा करना विपक्ष के निशाने पर आना ही था.
भारत के कई सीमावर्ती ज़िलों में ताज़ा स्थितियों को लेकर लोगों में चिंता गहराती जा रही है. उनकी जान-माल की सुरक्षा तो एक बड़ा विषय है ही. ऐसे में गृहमंत्री और प्रधानमंत्री का राजनीतिक मंचों पर नज़र आना और राजनीतिक भाषण देना लोगों को नागवार भी गुज़र रहा है.
बुधवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद जो साझा बयान सामने आया है उसमें भाजपा पर यह आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि भारत सरकार लापता भारतीय पायलट को पाकिस्तान से भारत सुरक्षित वापस लाने के तत्काल प्रयास करे.
हालांकि विपक्ष ने भी सत्तापक्ष पर ताज़ा स्थिति का राजनीतीकरण करने का आरोप लगाते हुए एक तरह की राजनीतिक चाल चल दी है और आगे भी वो इसका राजनीतिक लाभ उठाते नज़र आएंगे.
दिखावा नहीं करताः मोदी
दरअसल, जिस वक्त भारतीय वायुसैनिक पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों से निबटने में लगे थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन में अपनी शख्सियत के बारे में बड़े कसीदे पढ़ रहे थे.
भारत की ओर से दोपहर सवा तीन बजे विदेश मंत्रालय का पूरे घटनाक्रम पर आधिकारिक बयान तो आया लेकिन यह बयान बहुत संक्षिप्त और कई सवालों को अनुत्तरित रखने वाला था. भारतीय पायलट के पकड़े जाने की स्वीकारोक्ति भी इसमें नहीं की गई थी.
ऐसे में भाजपा ने शांत बैठे विपक्ष को एकबार फिर अपनी आलोचना का मौका दे दिया है और विपक्ष ने इसे भांपते हुए मोदी सरकार को घेरने का काम शुरू कर दिया है.
पुलवामा हमले के जवानों के शव उनके घरों तक पहुंचने से पहले ही सत्तापक्ष के स्टार चेहरे राजनीतिक मंचों पर नज़र आने लगे थे और बदले, आक्रोश जैसे शब्द इस्तेमाल किए जा रहे थे. यह दुहाई भी दी गई कि जो पिछली सरकारों ने नहीं किया, वो करने का मन बना चुके हैं, सेना को पूरी छूट दे दी गई है.
दूसरी ओर शोक में डूबे देश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन की पहली प्रेस कांफ्रेंस शहीदों को शोक जताने के साथ स्थगित कर दी थी. विपक्ष के बाकी दलों ने कड़ी कार्रवाई करने की अपील की और सरकार और देश के साथ खड़े होकर शहादत का मान रखा. अपनी ही पार्टी के मीडिया प्रभारी द्वारा सरकार की आलोचना को राहुल गांधी ने खारिज करते हुए कहा था कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं, एकजुट होने का है.
ब्रिंग बैक अभिनंदन
12 दिन बाद पुलवामा की शहादत का बदला लेने के लिए भारत ने मंगलवार की अलसुबह पाकिस्तान पर कार्रवाई की और कार्रवाई के 12 घंटे बाद ही राजस्थान के चूरू में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से उनका वोट भाजपा को देने की अपील कर डाली. लेकिन बुधवार को भारतीय पायलट के पाकिस्तान के हाथों में होने की ख़बर से देश में निराशा का माहौल भी देखने को मिला.
सोशल मीडिया पर जहाँ एक ओर अभिनंदन के वीडियो खासे वायरल हुए वहीं लोगों ने अभिनंदन की वापसी की पुरज़ोर अपील की और साथ ही युद्ध को टालने की गुहार भी लगाई. सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर इन्हीं प्रतिक्रियाओं के चलते ब्रिंग बैक अभिनंदन और से-नो-टू-वार जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे.
उल्लेखनीय है कि पुलवामा हमले के 12 दिनों के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बाकी नेता व प्रधानमंत्री ने शहादत का बदला के नारे के साथ अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को जारी रखा था.
विपक्ष के कई नेता और दल इस मामले में सत्तापक्ष और भाजपा से कहीं अधिक संजीदा नज़र आते रहे. कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष ने तो पार्टी की कार्यसमिति की बैठक तक स्थगित कर दी. साझा कार्यक्रम पर विपक्षी दलों की बैठक भी बिना कोई राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए खत्म हो गई. लेकिन भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रमों पर कोई असर न पड़ता देखकर अब यह आरोप लगने लगा है कि भाजपा ने पहले शहादतों पर राजनीति की और अब वायुसेना का श्रेय खुद बटोरकर वोट मांगने का काम जारी है.
ऐसे में सत्तापक्ष को राजनीति की एक न्यूनतम नैतिकता का ध्यान तो रखना ही होगा, आने वाले दिनों में विपक्ष के इन सवालों का जवाब भी देना होगा.