नई दिल्ली :”शरियत में दखल वाला कानून नही हो सका पास”- राज्यसभा का 31 जनवरी को शुरू हुआ सत्र बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया है। लगभग पूरा सत्र विभिन्न दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया और पूरे सत्र में महज तीन घंटे से कुछ अधिक समय ही काम हो पाया। इन दौरान कुछ अहम बिलों को पास कराने के लिए सरकार के पास केवल इसी सत्र का समय था। ये बिल हैं नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 और मुस्लिम महिला बिल-2018 ।
इन बिलों पर सरकार को विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा था। ये बिल लोकसभा में पास हो चुके हैं जबकि राज्यसभा में लंबित थे।
सभा की प्रक्रिया के अनुसार लोकसभा में पेश किया गया कोई भी विधेयक अगर किसी भी सदन में लंबित है तो वह कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो जाएगा। वहीं अगर कोई बिल राज्यसभा में पेश हुआ है और पास भी हुआ है तो वो भी रद्द हो जाएगा, अगर वह लोकसभा में लंबित है। नागरिकता संशोधन बिल और तीन तलाक बिल आज पास नहीं हुए हैं, अब अगली सरकार के आने के बाद इन्हें दोबारा लोकसभा में पास कराना होगा।
सभा की प्रक्रिया के अनुसार लोकसभा में पेश किया गया कोई भी विधेयक अगर किसी भी सदन में लंबित है तो वह कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो जाएगा। वहीं अगर कोई बिल राज्यसभा में पेश हुआ है और पास भी हुआ है तो वो भी रद्द हो जाएगा, अगर वह लोकसभा में लंबित है। नागरिकता संशोधन बिल और तीन तलाक बिल आज पास नहीं हुए हैं, अब अगली सरकार के आने के बाद इन्हें दोबारा लोकसभा में पास कराना होगा।
सत्र के अंतिम दिन अंतरिम बजट और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के मंजूरी दी गई। सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने पारंपरिक उद्बोधन में सत्र को ‘गंवा दिया गया अवसर’ बताया और उम्मीद जताई कि अगले सत्र में विभिन्न दलों के सदस्य सकारात्मक योगदान देंगे।
नायडू ने कहा कि वर्तमान सत्र में होने वाली कुल दस बैठकों में कामकाज के 48 घंटों में से करीब 44 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए। इस दौरान कुल पांच विधेयक पारित किए गए या लौटाए गए और सदन के कामकाज का प्रतिशत मात्र 4.9 रहा।
सत्र के दौरान छह विधेयकों को पेश किया गया। इस दौरान हंगामे के कारण विशेष उल्लेख के जरिए कोई भी लोक महत्व का मुद्दा नहीं उठाया जा सका। वंदे मातरम की धुन बजाए जाने के बाद सभापति ने बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।
गत 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ वर्तमान सत्र प्रारंभ हुआ था। एक फरवरी को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश किया गया और उसी दिन इसकी प्रति उच्च सदन में रखी गई।
सत्र के दौरान राफेल विमान सौदे, 13 प्वॉइंट रोस्टर, नागरिकता विधेयक, सपा नेता अखिलेश यादव को प्रयागराज में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से रोकने, कोलकाता में सीबीआई की कार्रवाई सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही लगातार बाधित रही। हंगामे के चलते सदन में एक भी दिन प्रश्नकाल एवं शून्यकाल सुचारू रूप से नहीं चल पाए।
सत्र के दौरान अंतरिम बजट और वित्त विधेयक के अलावा संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2019 और वैयक्तिक कानून (संशोधन) 2019 पारित किए गए ।
(अमरउजाला से साभार)