पिछले कुछ समय से गौ रक्षा के नाम पर देश में काफी उत्पाद हुआ है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कथित गौकशी को लेकर भीड़ भड़क गयी थी जिसमे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मार दिया गया था। अब पिछले तीन वर्षो के दौरान गौरक्षा के नाम पर भारत में मारे गये लोगो को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कुछ चौका देने वाले आकड़े सामने आए है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, ह्युमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले तीन वर्षो के दौरान कथित गौरक्षक संगठनो ने जिन्हें कानूनी एजेंसियो और ‘हिन्दू राष्ट्रवादी नेताओं’ से शाह मिलती है ने कम से कम से 44 लोगो की हत्या कर दी। इन हत्या में मरने वाले 44 लोगो में से 36 मुस्लिम समुदाय से थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, मई 2015 से लेकर दिसंबर 2018 के बीच 100 से ज्यादा हमलो में 280 लोग घायल हुए है।
रिपोर्ट के अनुसार, ह्युमन राइट्स वॉच ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी हिन्दुओ द्वारा पूजे जाने वाली गाय की रक्षा के लिए नीतियों का समर्थन करती है। न्यूयार्क के समूह ने आरोप लगाया कि बीजेपी के सांप्रदायिक बयानबाज़ियो की वजह से बीफ खाने के विरोध में हिंसक अभियान शुरू हुए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि गोरक्षाको के नाम पर हिंसा करने के आरोपियों के खिलाफ पुलिस अक्सर कार्यवाई करने में कोताही बरतती है, वही कई बीजेपी नेता सार्वजानिक तौर पर इन हमलो को जायज़ ठहराते है। इन हिंसाओ से दलित और आदिवासी भी पीड़ित है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, ह्युमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले तीन वर्षो के दौरान कथित गौरक्षक संगठनो ने जिन्हें कानूनी एजेंसियो और ‘हिन्दू राष्ट्रवादी नेताओं’ से शाह मिलती है ने कम से कम से 44 लोगो की हत्या कर दी। इन हत्या में मरने वाले 44 लोगो में से 36 मुस्लिम समुदाय से थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, मई 2015 से लेकर दिसंबर 2018 के बीच 100 से ज्यादा हमलो में 280 लोग घायल हुए है।
रिपोर्ट के अनुसार, ह्युमन राइट्स वॉच ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी हिन्दुओ द्वारा पूजे जाने वाली गाय की रक्षा के लिए नीतियों का समर्थन करती है। न्यूयार्क के समूह ने आरोप लगाया कि बीजेपी के सांप्रदायिक बयानबाज़ियो की वजह से बीफ खाने के विरोध में हिंसक अभियान शुरू हुए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि गोरक्षाको के नाम पर हिंसा करने के आरोपियों के खिलाफ पुलिस अक्सर कार्यवाई करने में कोताही बरतती है, वही कई बीजेपी नेता सार्वजानिक तौर पर इन हमलो को जायज़ ठहराते है। इन हिंसाओ से दलित और आदिवासी भी पीड़ित है।