दुनिया मे हर माँ बाप का सपना होता है कि उनके बेटा बेटी बड़े होकर उनका नाम रोशन करे और दुनिया में बहुत शोहरत कमाएँ , उनका नाम ऊँचा करे। लेकिन असल खुशनसीब तो वो माँ बाप होते है जिनके सपनो को उनकी औलाद अपनी आँखो मे बसाकर पुरी लगन , जिद , जुनून ओर मेहनत से उन ख्वाबों को पुरा करने की राह मे जद्दोजहद करते है। हम आपको आज ऐसी ही एक मुस्लिम बेटी जिसका अंजुम सैफी है , के बारे मे हम बात करेंगे जिन्होंने लोक सेवा आयोग की पीसीएस-16 परीक्षा मे सफल होकर सिविल जज के पद का ताज अपने नाम किया है अब अंजुम सैफी एक सिवील जज है।
अजुंम ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है कि जब वो महज चार साल की थी तब ही उनके सर से माँ बाप का साया उठ चुका था। वह 27 साल पहले मुजफ्फरनगर मे उनके पिता ने लुटो’रो को रगंदारी देने से मना किया था। जिसके एवज मे उन्हे मौ’त जैसी भयावह सजा के घाट उतार दिया गया था। उनके पिता रशीद अहमद की हार्डवेयर की दुकान थी ओर वो ईमानदार ओर हकपरस्त थे गलत करने वालो के खिलाफ वो सख्ती से डटकर मुकाबला करते थे और उन्होंने लुटेरो का भी खुला विरो’ध किया।
मीडिया से बातचीत के दौरान आगे अजुंम बताती है कि आज भी उनके दिल ओर दिमाग मे बचपन की वो सब धुंधली यादे तरोताजा है। उनके पिता उन्हें जज बनने देखना चाहते थे जब अंजुम की परीक्षा का रिज्लट आया तो उनकी माँ हामिदा बेगम खुशी से झुम उठी ओर पुरे मोहल्ले मे ये खुशियाँ मनाई गई। बस उन सब को इस बात की टीस थी कि आज अजुंम के पिता होते तो अपने सपने को सच होते देख फुले नही समाते थे।
अजुमं ने आगे बताया कि वो हमेशा सत्य की राह पर चलेगी ओर कभी अपने पिता की शहादत को व्यर्थ नही होने देगी। आपको बता दे , देश में लाखों अंजुम है जो गरीबी से जूझकर आगे बड़ी है और बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल किया है। लेकिन इस जज अंजुम की कहानी बिल्कुल अलग है , पिता नहीं थे तो घर की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने अपने सर ले ली। वो देश के नौजवानो के लिए एक मिसाल है , एक हौसला है , एक हिम्मत है।