सीएम योगी आदित्यनाथ पर रासुका लगाने के दूसरे दिन जसवीर सिंह का तबादला फूड सेल में हो गया था. निलंबन से पहले जसवीर सिंह लखनऊ में एडीजी रूल्स मैनुअल के पद पर तैनात थे.
यूपी सरकार ने मंगलवार को 1992 बैच की आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया है. जानकारी के मुताबिक 30 जनवरी को एक न्यूज वेबसाइट को दिए गए विवादित इंटरव्यू के चलते एडीजी पर सस्पेंशन की कार्रवाई की गई है.
पता चला है कि इंटरव्यू के बाद आईपीएस जसवीर सिंह से शासन ने स्पष्टीकरण मांगा था. स्पष्टीकरण देने के बजाए आईपीएस बिना अनुमति के छुट्टी पर चले गए. इसके बाद शासन द्वारा बिना अनुमति छुट्टी पर जाने और सेवा शर्तों के उल्लंघन पर उन्हें 14 फरवरी को सस्पेंड कर दिया गया.
उधर आईपीएस जसवीर सिंह के निलंबन के बाद सत्ता के गलियारे में तरह-तरह की कयासबाजी जोरों पर है. इसमें उनके द्वारा पूर्व में लिए गए एक्शन को भी सस्पेंशन से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि जसवीर सिंह ने 2002 में महराजगंज एसपी रहते सीएम योगी पर रासुका के तहत कार्रवाई की थी. उस समय सीएम योगी पर रासुका लगाने के दूसरे दिन ही जसवीर सिंह का तबादला फूड सेल में हो गया था. निलंबन से वर्तमान में जसवीर सिंह लखनऊ में एडीजी रूल्स मैनुअल के पद पर तैनात थे.
अपने इंटरव्यू में जसवीर सिंह ने कहा था, "मैं एक आईपीएस अफसर हूं, इसलिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकता." वैसे यूपी कैडर के जसवीर सिंह वर्ष 1997 में तब सुर्खियों में आए, जब वह पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ नियुक्त हुए और उन्होंने कुंडा के विधायक राजा भैया पर शिकंजा कसा.
कुछ दिनों के भीतर ही जसवीर सिंह को प्रतापगढ़ से हटा दिया गया. यहीं से जसवीर सिंह का भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग और तेज हो गई. इससे पहले आईपीएस जसवीर सिंह के कहा, "देश सर्वोपरि है. राष्ट्र कार्य सर्वोपरि है. इसके लिए किसी प्रकार का बलिदान देने के लिए अधिकारियों को तत्पर रहना चाहिए.
यूपी सरकार ने मंगलवार को 1992 बैच की आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया है. जानकारी के मुताबिक 30 जनवरी को एक न्यूज वेबसाइट को दिए गए विवादित इंटरव्यू के चलते एडीजी पर सस्पेंशन की कार्रवाई की गई है.
पता चला है कि इंटरव्यू के बाद आईपीएस जसवीर सिंह से शासन ने स्पष्टीकरण मांगा था. स्पष्टीकरण देने के बजाए आईपीएस बिना अनुमति के छुट्टी पर चले गए. इसके बाद शासन द्वारा बिना अनुमति छुट्टी पर जाने और सेवा शर्तों के उल्लंघन पर उन्हें 14 फरवरी को सस्पेंड कर दिया गया.
उधर आईपीएस जसवीर सिंह के निलंबन के बाद सत्ता के गलियारे में तरह-तरह की कयासबाजी जोरों पर है. इसमें उनके द्वारा पूर्व में लिए गए एक्शन को भी सस्पेंशन से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि जसवीर सिंह ने 2002 में महराजगंज एसपी रहते सीएम योगी पर रासुका के तहत कार्रवाई की थी. उस समय सीएम योगी पर रासुका लगाने के दूसरे दिन ही जसवीर सिंह का तबादला फूड सेल में हो गया था. निलंबन से वर्तमान में जसवीर सिंह लखनऊ में एडीजी रूल्स मैनुअल के पद पर तैनात थे.
अपने इंटरव्यू में जसवीर सिंह ने कहा था, "मैं एक आईपीएस अफसर हूं, इसलिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकता." वैसे यूपी कैडर के जसवीर सिंह वर्ष 1997 में तब सुर्खियों में आए, जब वह पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ नियुक्त हुए और उन्होंने कुंडा के विधायक राजा भैया पर शिकंजा कसा.
कुछ दिनों के भीतर ही जसवीर सिंह को प्रतापगढ़ से हटा दिया गया. यहीं से जसवीर सिंह का भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग और तेज हो गई. इससे पहले आईपीएस जसवीर सिंह के कहा, "देश सर्वोपरि है. राष्ट्र कार्य सर्वोपरि है. इसके लिए किसी प्रकार का बलिदान देने के लिए अधिकारियों को तत्पर रहना चाहिए.