सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छिड़ी है, गंध मची हुई है कतई, लोग दो फाड़ है, एक श्रीमान कह रहे हैं कि हिजाब महिलाओं के लिए एक जंजीर है, बेडी है, और वो महिलाओं को इन बेड़ियों से आज़ाद करके दम लेंगे, दुसरे वाले कह रहे हैं कि हिजाब को जंजीर बताने वाले लोग झूठे मक्कार और फरेबी हैं, धूर्त है, वो औरतों को आज़ादी के नाम पर नंगी करना चाहते हैं।
इस सबके बीच आइये हम आपको बताते हैं कि हिजाब ने महिलाओं की स्वतंत्रता का कितना हनन किया है, इस महिला के बारे में जानकर पढ़कर समझ सकते हैं कि क्या महिलाओं के लिए हिजाब वास्तव में एक बेड़ी है या फिर एक पहनावा है। जैसे दुसरे लोगों के लिए साडी, कुर्ता सलवार, कुर्ती या जीन्स टॉप है। आइये हम बताते हैं कि एक लड़की हिजाब जैसी जंजीरों में बंधकर भी कैसे पायलट बन गयी।
जिला बलरामपुर की शरीन पाशा ने पूर्वांचल की पहली महिला पायलट बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शरीन उतरौला टाउन से पांच किलोमीटर दूर गोगाथर गाँव के अब्दुल हमीद की पुत्री है। उसने हाल में पायलट की परीक्षा उत्तीर्ण किया है। पायलट शरीन ने इसकी क्रेडिट अपने माता पिता को दिया है.
ईस्ट यूपी की पहली महिला पायलट बनीं शरीन पाशा एक सामान्य परिवार की लड़की के हौसलों की उड़ान ने उसे जिस तरह पायलट के मुकाम पर पहुंचाया है| उसकी हर तरफ सराहना हो रही है, पिछली पीढ़ियों में शिक्षा का माहौल अच्छा न होने के बावजूद शरीन पाशा ने ऊंचाइयों के शिखर को छुआ है ।
कपिल वास्तु पोस्ट के अनुसार अपनी सफलता का क्रेडिट अपने मां बाप को देते हुए शरीन बतातीं कि उनके वालिद कम पढ़े लिखे होने के बावजूद लड़कियों के शिक्षा के प्रति गम्भीर रहे. उनके इसी सोच का नतीजा है कि उनकी चार बहनें डाक्टर बन कर जनसेवा में लगी हैं, शरीन की कामयाबी पर उनके गांव गागोथर और उतरौला के मुनीर अहमद, डा० सचिन्द्र नाथ, सलीम भाई, नसीब अली, डा० इला देवी, मुनीर पाशा, नूरूल्लाह, मुर्तुजा, ताज मोहम्मद वगैरह ने शरीन को मुबारकबाद दी है.
वर्तमान में जहॉ लोग लड़कों के तुलना मे लड़कियों को कम तरजीह देते हैं, वहीं अब्दुल हमीद ने लड़कियों को अहमियत देते हुए अपनी सभी लड़कियों को शिक्षा दिला कर अच्छे मुकाम तक पहुचाया है, अब्दुल हमीद बताते हैं कि दशकों पहले रोजी रोटी के सिलसिले मे गॉव से मुंबई गये थे।
वहॉ पर पलास्टर पैरिस का काम करते हुए ठेका लेने लगा धीरे धीरे आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और मैने सभी बच्चों को तालीम दिलाना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनकी सात बेटियॉ हैं, जिनमे चार पढ़ कर डॉक्टर बन गयी हैं जो, प्रेक्टिस कर रही हैं।
वहॉ पर पलास्टर पैरिस का काम करते हुए ठेका लेने लगा धीरे धीरे आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और मैने सभी बच्चों को तालीम दिलाना शुरू किया.
वहॉ पर पलास्टर पैरिस का काम करते हुए ठेका लेने लगा धीरे धीरे आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और मैने सभी बच्चों को तालीम दिलाना शुरू किया.
उन्होंने बताया कि उनकी सात बेटियॉ हैं, जिनमे चार पढ़ कर डॉक्टर बन गयी हैं जो, प्रेक्टिस कर रही हैं। शारीन पाशा की इच्छा पायलट बनने की थी जो पूरी हुई। उन्होंने कहा कि लड़कियों के पढ़ने के रूझान को देख कर मैने भी उन्हें आगे बढ़ाया। यही बच्चियां मेरी सम्पति हैं।