आजकल ऑनला’इन वाला ज़माना है. सारा दिन फेसबुक-ट्विटर होता रहता है. इसी घुमक्कड़ी के दौरान एक पोस्ट नज़र में आई. किन्हीं ब्रजेश शर्मा की है. इसे लोग खूब शेयर कर रहे हैं. इसी बात ने ध्यान खींचा. हमने भी पढ़ना शुरू किया. अच्छा लगा तो हमने सोचा आपके साथ शेयर कर लें. तो ब्रजेश जी के हवाले से उनकी ये कहानी मैं आपको भी सुना देता हूं’.
‛कुछ दिन पहले ब्रजेश शताब्दी एक्सप्रेस से भोपाल से ग्वालि यर जा रहे थे. उनके सामने वाली सीट पर एक लड़का बैठा था. वो जब से बैठा था तब से ही बड़ा परेशान सा लग रहा था. कुछ देर बाद उस कोच में एक लेडी टिकट चेकर आई. काफी देर तक उससे बात करती रही. अचानक से आवाज़ की वॉल्यूम थोड़ी बढ़ गई. महिला चेकर की आवाज आ रही थी’.
‛कह रही थी कि अगले स्टॉप पर पुलिस के हवाले कर दूंगी. जब ब्रजेश मामले की तह तक गए, तो पता चला लड़का बिना टिकट ट्रैव’ल कर रहा था. टिकट चेकर के हड़काने पर लड़के ने बताया कि वो किसी इंटरव्यू के लिए ग्वालियर जा रहा है’.
‛उसका वहां पहुंचना बहुत जरूरी है. घरवालों ने पैसे ट्रांसफर किए हैं लेकिन वो अब तक उसके अकाउंट में नहीं पहुंचे हैं. अगर वो टिकट चेकर इसे उतारे बिना ट्रेन में जाने देती है तब भी उसे 3200 रुपए जुर्मा’ने के तौर पर भरना पड़ेगा, जो उसके पास है नहीं. ऐसे में उसे ट्रेन से उता’रकर पुलिस के हवाले करना पड़ता’.
“अचानक वहां एक और टिकट चेकर आ गए. वो भी उस महिला के साथ ही थे. उन्होंने पूरी कहानी सुनी. फिर अपनी जेब से पैसे निकालकर उस लड़के के हाथ में रख दिए और कहा कि भर दो जुर्माना. लड़का सीट से खड़ा होकर उन्हें थैंक यू बोलने लगा”.
“वो टिकट चेकर हल्का सा मुस्कुराए और आगे बढ़ गए. किसी ने पूछा कि क्या गारंटी कि आपके पैसे वापस मिल जाएंगे. जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैंने ये सोचकर मदद की कि क्या कोई अपना होता, तब भी हम इतना सोचते.’ इसके बाद वो आगे कहीं निकल गए. शायद किसी और की मदद करने”.