नामचीन अभिनेता कादर खान का सोमवार को निधन हो गया. उम्रदराज एक्टर का कनाडा में इलाज चल रहा था. नए साल पर कादर खान के निधन की खबर से उनके प्रशंसक सदमे में हैं.
फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी ने कहा कि अफसोस की बात है कि अभिनेता, निर्देशक, लेखक और हास्य कलाकार कादर खान की सेहत पिछले 10 वर्षों से खराब चल रही था, वरना उनके पास बॉलीवुड को देने के लिए बहुत कुछ था. मुझे लगता है कि गोविंदा और अमिताभ की सफलता का एक हिस्सा कादर खान के लेखन को दिया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “वह हर काम कर सकते थे और उन्होंने सब कुछ किया. मैं बॉलीवुड की किसी भी ऐसी शख्सियत के बारे में नहीं जानता, जिसकी कादर साहब की तरह मांग रही हो. वह 1970, 80 और 90 के दशक में एक ही समय में पांच से छह फिल्मों की कहानी लिखते और उसमें अभिनय करते थे.
पहलाज ने कहा, ‘मैं अपनी फिल्म ‘आंखें’ में उनसे दोहरी भूमिका करवाना चाहता था. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद मैंने उनसे विनती की. मैंने कहा कि मुझे केवल एक दिन के लिए चार घंटे दे दीजिए और मैं सब तैयारी कर लूंगा. मैं उनको फिल्म में शामिल करना चाहता था. एक बार जब उन्होंने साइन कर दिया तो उनके पास मुझे और डेट्स देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था और इस तरह यह संभव हुआ. इंसान और बतौर पेशेवर, उनके मुकाबले में फिल्म उद्योग का कोई इंसान इतना मददगार नहीं.
फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी ने कहा कि अफसोस की बात है कि अभिनेता, निर्देशक, लेखक और हास्य कलाकार कादर खान की सेहत पिछले 10 वर्षों से खराब चल रही था, वरना उनके पास बॉलीवुड को देने के लिए बहुत कुछ था. मुझे लगता है कि गोविंदा और अमिताभ की सफलता का एक हिस्सा कादर खान के लेखन को दिया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “वह हर काम कर सकते थे और उन्होंने सब कुछ किया. मैं बॉलीवुड की किसी भी ऐसी शख्सियत के बारे में नहीं जानता, जिसकी कादर साहब की तरह मांग रही हो. वह 1970, 80 और 90 के दशक में एक ही समय में पांच से छह फिल्मों की कहानी लिखते और उसमें अभिनय करते थे.
पहलाज ने कहा, ‘मैं अपनी फिल्म ‘आंखें’ में उनसे दोहरी भूमिका करवाना चाहता था. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद मैंने उनसे विनती की. मैंने कहा कि मुझे केवल एक दिन के लिए चार घंटे दे दीजिए और मैं सब तैयारी कर लूंगा. मैं उनको फिल्म में शामिल करना चाहता था. एक बार जब उन्होंने साइन कर दिया तो उनके पास मुझे और डेट्स देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था और इस तरह यह संभव हुआ. इंसान और बतौर पेशेवर, उनके मुकाबले में फिल्म उद्योग का कोई इंसान इतना मददगार नहीं.