ईराक़ यह दुनिया के सबसे पुराने शहरों मे से एक है। मोसोपोटमिया की सभ्यता का शुमार मानव इतिहास के सबसे पुरानी सभ्यताओं मे होता है। यह सभ्यता ईराक़ और उसके आस पास के इलाके मे फैली हुई थी।ईराक़ और भी कारणों से एतिहासिक महत्व रखता है। इनमें से एक है यहां पैदा हुए वैज्ञानिक अल हेज़न । अल-हेज़न को आज भी दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता हैं ।उनका पूरा नाम अबू अली अल हसन इब्न अल हेतहम था। उनका जन्म तक़रीबन 965 ई० में ईराक़ के बसरा में हुआ था। मूल रुप से अरब के रहने वाले‘अल हेतहम’ को अंग्रेजी भाषा मे अल हेज़न के नाम से जाना जाता है। अल हेज़न को गणित, एस्ट्रोनॉमी, मटीयोरोलोजी, ऑप्टिक्स से लेकर कई विषयो में महारत हासिल थी। अल-हेज़न को आप “फादर ऑफ थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट” भी कह सकते हैं क्योंकि वह दुनिया के पहले थ्योरिटिकल फिज़िसिस्ट थे।
अल हेज़न की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने अपनी जीवन में 200 से ज़्यादा पुस्तके लिखीं जिनमें से 96 विज्ञान पर आधारित थीं। यह ऐसे विषयों थे जिनके बारे में उस समय के वैज्ञानिक भी नहीं जानते थे। कुछ वैज्ञानिक का तो यह भी मानना है कि उनकी दी हुई थ्योरी की ही मदद से ही बाद में कैमरे की तकनीक की खोज संभव हो सकी। उनकी सबसे प्रसिद्ध किताब‘किताब-अल-मनाज़िर’ थी। जिसका बाद मे 12वीं या 13वीं शताब्दी में अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं मे अनुवाद किया गया। ।
अल हेज़न को पहले ऐसे वैज्ञानिक के तौर पर भी जाना जाता है जिन्होनें कहा था कि जब तक कोई सूत्र प्रायोगिक तोर पर सही या ग़लत सिद्ध ना हो जाए उसे सही या ग़लत नहीं माना जा सकता। विज्ञान की दुनिया मे उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। चाहे अमरीका हो या दूसरे देश, हर जगह इनका सम्मान है. यूनेस्को ने सन 2015 को “इंटरनेशनल इयर ऑफ़ लाइट” कहा था। यह अल हेज़न के सम्मान में किया गया था। इस कैंपेन का नाम था “ 1001 खोजें और अल-हेज़न की दुनिया” था।इस महान वैज्ञानिक का निधन 1040 ई० में मिस्र के काहिरा शहर में हुआ था।
अल हेज़न की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने अपनी जीवन में 200 से ज़्यादा पुस्तके लिखीं जिनमें से 96 विज्ञान पर आधारित थीं। यह ऐसे विषयों थे जिनके बारे में उस समय के वैज्ञानिक भी नहीं जानते थे। कुछ वैज्ञानिक का तो यह भी मानना है कि उनकी दी हुई थ्योरी की ही मदद से ही बाद में कैमरे की तकनीक की खोज संभव हो सकी। उनकी सबसे प्रसिद्ध किताब‘किताब-अल-मनाज़िर’ थी। जिसका बाद मे 12वीं या 13वीं शताब्दी में अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं मे अनुवाद किया गया। ।
अल हेज़न को पहले ऐसे वैज्ञानिक के तौर पर भी जाना जाता है जिन्होनें कहा था कि जब तक कोई सूत्र प्रायोगिक तोर पर सही या ग़लत सिद्ध ना हो जाए उसे सही या ग़लत नहीं माना जा सकता। विज्ञान की दुनिया मे उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। चाहे अमरीका हो या दूसरे देश, हर जगह इनका सम्मान है. यूनेस्को ने सन 2015 को “इंटरनेशनल इयर ऑफ़ लाइट” कहा था। यह अल हेज़न के सम्मान में किया गया था। इस कैंपेन का नाम था “ 1001 खोजें और अल-हेज़न की दुनिया” था।इस महान वैज्ञानिक का निधन 1040 ई० में मिस्र के काहिरा शहर में हुआ था।