हैदराबाद के सांसद बैरिस्टर असद उद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में एक बार फिर काग्रेंस और बीजेपी दोनों पर जमकर निशाना साधा है। ओवैसी का महाराष्ट्र के कल्यान की चुनावी सभा में दलितों ने शंखवाद बजाकर स्वागत किया ।
ओवैसी का सभा में सबसे पहले कोली समाज ने स्वागत करते हुए कोली समाज को प्रर्दशित करने वाली लाल रंग की टोपी पहनाई । ओवैसी का महाराष्ट्र में इस प्रकार के दलितों द्वारा स्वागत के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है ।
गौरतलब है कि बैरिस्टर ओवैसी ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद काग्रेंस , एनसीपी और बीजेपी ने अपने अपने वोट बैंक को बचाने की जुगत में लगे हुए है । बता दे , ओवैसी भारिप पार्टी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर के बुलावे पर महाराष्ट्र 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है ।
बता दे , महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक और दलित दोनों ही काग्रेंस के परम्परागत वोट बैंक समझे जाते है । लेकिन हाल ही के महीनों में सविधान को बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डां भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की पार्टी का ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी से गठबंधन होने के बाद से अल्पसंख्यक और दलित दोनों का रूझान तेजी से इनकी ओर बढा है ।
सूत्रों की माने तो ओवैसी औरप्रकाश अंबेडकर के इस गठजोड़ से काग्रेंस और एनसीपी इससे चिंतित नज़र आ रही है । लेकिन ये तो वक्त ही बताएगा कि ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी अल्पसंख्यकों और दलितों के वोट अपने पाले में ला पाते है या नही.
ओवैसी का सभा में सबसे पहले कोली समाज ने स्वागत करते हुए कोली समाज को प्रर्दशित करने वाली लाल रंग की टोपी पहनाई । ओवैसी का महाराष्ट्र में इस प्रकार के दलितों द्वारा स्वागत के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है ।
गौरतलब है कि बैरिस्टर ओवैसी ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद काग्रेंस , एनसीपी और बीजेपी ने अपने अपने वोट बैंक को बचाने की जुगत में लगे हुए है । बता दे , ओवैसी भारिप पार्टी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर के बुलावे पर महाराष्ट्र 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है ।
बता दे , महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक और दलित दोनों ही काग्रेंस के परम्परागत वोट बैंक समझे जाते है । लेकिन हाल ही के महीनों में सविधान को बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डां भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की पार्टी का ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी से गठबंधन होने के बाद से अल्पसंख्यक और दलित दोनों का रूझान तेजी से इनकी ओर बढा है ।
सूत्रों की माने तो ओवैसी औरप्रकाश अंबेडकर के इस गठजोड़ से काग्रेंस और एनसीपी इससे चिंतित नज़र आ रही है । लेकिन ये तो वक्त ही बताएगा कि ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी अल्पसंख्यकों और दलितों के वोट अपने पाले में ला पाते है या नही.