इस्लाम धर्म के अनुसार मुस्लिम समाज के हर एक व्यक्ति चाहे लड़का हो या लड़की छोटा हो या बड़ा कुरआन पढ़ना सबपर फर्ज है।
यहां तक कि कुरआन को देखना सवाब, कुरआन को सुनना सवाब, और कुरआन को पढ़ने वाले व्यक्ति के लिए उसके मरने के बाद जन्नत का जरिया बन सकता है।
यही वो कुरआन है जिसके पढ़ने से घरों में ख़ैर बरकत होती है, और यही नहीं अल्लाह तआला ने इसे मौत के सिवा हर मर्ज की दवा भी कहा है।
यही वो क़ुरआन है जो इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अल्लाह ने उतारा जिसे हर मुसलमान ज़रुर पढता है। इसे पूरा याद कर लेने पर उसे हाफ़िज़-ए-क़ुरआन का खिताब मिलता है।
तमाम घरों में बच्चे बहुत ही कम उम्र में कुरआन को पढ़कर मुकम्मल कर लेते हैं, इसी तरह से एक खबर हमारे सामने आई है जिसे सुनकर आपको बहुत हैरत होगी की इतनी सी छोटी उम्र में क़ुरआन को मुकम्मल कैसे कर लिया।
हम आपको लिए चलते हैं वहां जहां से सूचना मिली है कि एक छोटी सी उम्र की बच्ची ने क़ुरआन शरीफ़ मुकम्मल याद कर लिया, विकास खण्ड दरियाबाद क्षेत्र के ग्राम बरहुवां के ज़ियाउर्रहमान उर्फ़ ज़िया की बेटी ज़ुबैदा रहमान फ़िज़ा जिसने महज़ 6 साल की उम्र में ही क़ुरआन को मुकम्मल याद किया, जिसे सुनकर लोगों ने खुशी का इजहार किया, मुबारकबाद पेश की और दुआएं भी दीं।