पिछले कुछ वक़्त मे मुझे दो बार असद साहब के फैसले से हैरानी के साथ-साथ निराशा भी हुयी और उन फैसलों का मैंने विरोध भी किया। लेकिन अब मुझे वो फैसले संतोषजनक लगने लगे हैं।पहला फैसला तेलंगाना मे सिर्फ 8 सीटो पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होना, वो भी उस टीआरएस को सपोर्ट करते हुए जिसने मजलिस के सामने अपने कैंडिडेट उतारे। मुझे लग रहा था कि मजलिस को कम से कम 10 सीट नहीं तो 9 सीट पर अपने कैंडिडेट उतारने थे। वो भी उस शर्त पर कि टीआरएस उनके सामने अपना कैंडिडेट नहीं उतारेगी। और उनका समर्थन करेगी।
टूट के कगार पर दिल्ली भाजपा, कार्यकर्ताओं के साथ साथ सांसद भी गायब…!
पहले की सभी सीट्स और जुबली हिल्स, राजेंद्र नगर, निज़ामाबाद अर्बन (ये तीनो सीट इसलिए कि ये हैदराबाद से थोडा बाहर हटकर है, पार्टी की पहुँच हैदराबाद से बाहर बढ़ाना भी जरुरी है)। इतना नहीं हुआ तो कम से कम अभी जो आठवी सीट राजेंद्र नगर से aimim चुनाव लड़ी वहा से टीआरएस का आदमी नहीं होना था (इस सीट से TRS ही जीती है)। फिर मैंने सोचा कि चलो अच्छा टीआरएस की सरकार बनाने मे aimim मदद करेगी, तो बदले मे टीआरएस भी लोकसभा इलेक्शन मे secundrabad सीट पर aimim की मदद कर देगी।
तो ये सीट aimim जीत जाएगी। क्योंकी पिछली बार ये सीट बीजेपी को गयी थी (अब वहा Anti BJP लहर से बीजेपी को इस बार काफी कम वोट मिलेंगे इस बार)। aimim रनर अप से सिर्फ थोड़े अंतर से पीछे थी लेकिन टीआरएस से ज्यादा वोट मिले थे। और इधर aimim इस सीट पर अच्छी मेहनत भी की थी। मतलब aimim इस सीट की हकदार है। और टीआरएस को यहाँ aimim का समर्थन देना चाहिए।
फोटो- ‘कुंभ नहीं देखा तो भारत नहीं देखा… कई देशों के प्रतिनिधियों ने कहा, ‘ओह, दिस इज इनक्रेडिबल इंडिया’
मुझे कही ना कही ये लगने लगा था कि अब टीआरएस aimim को घेर रही है ताकि ये ज्यादा आगे ना बढ़ जाए। बाद मे मुझे समझ मे आया कि जब aimim की मांगे टीआरएस पुरी कर ही दे रही है। अल्पसंख्यक के लिए खासकर सबसे बेहतर काम भी कर रही है। तो ऐसे हालात मे असद साहब लालच ना करके उनको आगे ही बढ़ने दिया। उनका साथ दिया, आखिर aimim का मकसद पार्टी को बढ़ाना ना होकर अपने काम करवाना ही तो है।
दूसरा फैसला, अभी जल्द ही नांदेड महारष्ट्र मे असद साहब ने कांग्रेस एनसीपी को बोल दिया कि प्रकाश आंबेडकर साहब की शर्तो को आप मान लो तो मै एक भी सीट पर चुनाव यहाँ नहीं लडुंगा। ज्ञात रहे कि यहाँ दोनों का गठबंधन 2 अक्टूबर को लगभग 2-3 महीने के बातचीत के बाद हुआ था। जिसके बाद कांग्रेस, एनसीपी के साथ साथ शिवसेना भी इस गठबंधन पर उलूल जुलूल बोलती रही और आंबेडकर साहब का हितैषी बताते हुए “हम भी इनके साथ गठबंधन के लिए बात करने वाले थे”, “इनको हमारे साथ आना चाहिए था”, “हम इनसे गठबंधन के लिए तैयार है।
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लेकिन AIMIM का साथ ये छोड़ दे तो” इत्यादि तरह के जुमलो का बाज़ार लगा हुआ है। इस बीच असद साहब का उपरोक्त कथन अब कांग्रेस/एनसीपी की पोल खोल रही है कि वो सिर्फ नौटंकी कर रही थी। मैंने गौर किया कि अब महारष्ट्र मे ये दोनों पार्टिया बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, aimim की बात की जाए तो aimim और असद साहब की पहुँच अब इनके साथ ऐसी ऐसी जगह/गली/शहर तक जा रही है जहा आने वालो 5-7 सालो मे भी शायद aimim नहीं पहुँचती। इसका सबूत एरिया के पोस्टर्स है लोगो की बात चीत मे aimim/असद का शामिल होना है, जिस पर मैंने गौर किया।
वंचित बहुजन समाज अब असद साहब की भासड/स्पीच/बहस को सुनकर बड़ी तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ रहा है। अब उनको “संविधान रक्षक” की उपाधि भी दी जा रही है वो भी ऐसे दौर मे जब हम, आप खासकर मुस्लिम लोग इन्हें बीजेपी एजेंट दलाल बताने की कोशिस मे रहता है। हलाकि मैंने गौर किया है कि असद साहब कही ना कही सभाओ मे जाने कतरा रहे है। क्योंकी हर दूसरे/तीसरे दिन बहुजन वंचित आघाडी और aimim की सभा हो रही है। लेकिन असद साहब अब तक सिर्फ 2-3 सभाओ मे आये है। जबकि aimim के लोग लगातार शरीक हो रहे है। तयारी के साथ।
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खैर महाराष्ट्र मे अब इन दोनों पार्टियो के जलवे बिखर रहे है बहुत तेज़ी से बढ़ रहे है ये लोग, विधानसभा चुनाव मे इनके बिना सरकार बननी मुमकिन नहीं दिख रहा है इस बार। aimim के चाहने वालो आप जहा हो वही मेहनत करिए असद साहब या अपने स्टेट के बड़े नेताओ का इंतज़ार मत करिए, बसे आपको बनाना है जिसमे चार चार ये लोग लगा सकते है। कम से कम इतना मज़बूत खुद को कर लीजिये कि सामने वाले के दिमाग मे आपके साथ गठबधन का फायदा नज़र आये, बिना ठोस फायदा के कोई कोई आपके पास नहीं आएगा।
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तो ये सीट aimim जीत जाएगी। क्योंकी पिछली बार ये सीट बीजेपी को गयी थी (अब वहा Anti BJP लहर से बीजेपी को इस बार काफी कम वोट मिलेंगे इस बार)। aimim रनर अप से सिर्फ थोड़े अंतर से पीछे थी लेकिन टीआरएस से ज्यादा वोट मिले थे। और इधर aimim इस सीट पर अच्छी मेहनत भी की थी। मतलब aimim इस सीट की हकदार है। और टीआरएस को यहाँ aimim का समर्थन देना चाहिए।
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वंचित बहुजन समाज अब असद साहब की भासड/स्पीच/बहस को सुनकर बड़ी तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ रहा है। अब उनको “संविधान रक्षक” की उपाधि भी दी जा रही है वो भी ऐसे दौर मे जब हम, आप खासकर मुस्लिम लोग इन्हें बीजेपी एजेंट दलाल बताने की कोशिस मे रहता है। हलाकि मैंने गौर किया है कि असद साहब कही ना कही सभाओ मे जाने कतरा रहे है। क्योंकी हर दूसरे/तीसरे दिन बहुजन वंचित आघाडी और aimim की सभा हो रही है। लेकिन असद साहब अब तक सिर्फ 2-3 सभाओ मे आये है। जबकि aimim के लोग लगातार शरीक हो रहे है। तयारी के साथ।
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