किसी जमाने में आतंकवाद का हिस्सा रहे नजीर अहमद वानी को अब भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र दिया जा रहा है, वजह बहुत ही चौकाने वाली है, नजीर अहमद वानी जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं, और जम्मू कश्मीर के भटके हुये दूसरे नौजनवानों को देख कर उनोहने भी हथियार उठा लिया था।लेकिन उन्हें इस बात समझ जल्द आ गई कि अपने ही देश के खिलाफ हथियार उठाना ठीक नहीं है, और उन्होने हथियार उठाने का तरीका बदल दिया। जो नजीर अहमद वानी अभी तक आतंकियों की तरफ से हथियार लेकर भारत को नुकसान पहुंचाना चाहते थे, उन्होने आतंकवाद का रास्ता छोड़ कर सेना में शामिल होने का मन बना लिया, और वह सेना में शामिल भी हो गए,
उसके बाद नजीर अहमद वानी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि आज भारत सरकार उन्हें सम्मान से नवाजने जा रही है। उन्हें वीरता पुरस्कार अशोक चक्र दिया जा रहा है। दरअसल बीते साल जम्मू कश्मीर के शोपियां में कुछ आतंकवादियों के आने की खबर मिली, तो तुरंत सेना ने वहाँ पर ऑपरेशन शुरू कर दिया, सेना के इस टुकड़ी में नजीर अहमद वानी भी शामिल थे, और आतंकी जिस घर में छुपे हुये थे, वहाँ पर हमला शुरू कर दिया गया, और इस गोली बारी में नजीर अहमद वानी ने छ आतंकियों को मार गिराया।
जब वहाँ पर गोली बारी हो रही थी, तो इस में नजीर अहमद वानी घायल भी हो गए थे, लेकिन घायल होने के बाद भी वह लगातार आतंकियों से मुक़ाबला करते रहे। और छ आतंकियों को मार गिराया, आखिर में वह खुद भी शहीद हो गए।
नजीर अहमद वानी कुलगाम जिले के चक्की अश्मुजी गाव के रहने वाले थे,उनके दो बेटे हैं, वहीं उनकी पत्नी आज भी गाव में रहती हैं, और अब उन्हें 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीद वानी और उनके साथियों को सम्मान से नवाजा जाएगा।
उसके बाद नजीर अहमद वानी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि आज भारत सरकार उन्हें सम्मान से नवाजने जा रही है। उन्हें वीरता पुरस्कार अशोक चक्र दिया जा रहा है। दरअसल बीते साल जम्मू कश्मीर के शोपियां में कुछ आतंकवादियों के आने की खबर मिली, तो तुरंत सेना ने वहाँ पर ऑपरेशन शुरू कर दिया, सेना के इस टुकड़ी में नजीर अहमद वानी भी शामिल थे, और आतंकी जिस घर में छुपे हुये थे, वहाँ पर हमला शुरू कर दिया गया, और इस गोली बारी में नजीर अहमद वानी ने छ आतंकियों को मार गिराया।
जब वहाँ पर गोली बारी हो रही थी, तो इस में नजीर अहमद वानी घायल भी हो गए थे, लेकिन घायल होने के बाद भी वह लगातार आतंकियों से मुक़ाबला करते रहे। और छ आतंकियों को मार गिराया, आखिर में वह खुद भी शहीद हो गए।
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