हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाह तआला अन्हु से रिवायत है कि मैंने अल्लाह के रसूल मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये फरमाते हुए सुना है…
“जब नमाज़ खड़ी हो जाए तो तुम उसके लिए दौड़ते हुए ना आओ आराम से मअमूल की चाल चलते हुए आओ
और सुकूनियत इख़तियार करो- जो नमाज़ इमाम के साथ मिले उसे पढ़लो और जो तुमसे छूट जाए उसे पूरा कर लो”
(बुख़ारी व मुस्लिम)
मुस्लिम ने अपनी रिवायत में ये अल्फ़ाज़ ज्यादा बयान किए हैं।
तुम्हारा एक आदमी जब नमाज़ का क़स्द कर लेता है तो वो नमाज़ की हालत ही में शुमार होता है”
फ़ायदा और मसायल…
इससे मालूम हुआ कि जमाअत के हुसूल के लिए दौड़ भाग करना ममनूअ है क्योंकि ये वक़ार के खिलाफ है, जबकि हुक्म-ए-वकार और सुकुनियत इख़्तियार करने का है, बिल्खुसुस नमाज़ वगैरह के लिए आते वक़्त।
जब इंसान घर से वुज़ू करके निकलता है तो उसी वक़्त से उसे नमाज़ में शुमार कर लिया जाता है।
इमाम के साथ मिलने वाली रकअत मुक़तदी की पहली रकअत होगी, बाद में जो अदा करेगा वो आखरी रकात होंगी।
और ये बात अक़्ल व नक़्ल (दलाएल) के ऐन मुताबिक है।
हवाला-
किताब- रियाज़उस्सालीहीन
जिल्द नम्बर- 1
सफहा- 641, 642
“जब नमाज़ खड़ी हो जाए तो तुम उसके लिए दौड़ते हुए ना आओ आराम से मअमूल की चाल चलते हुए आओ
और सुकूनियत इख़तियार करो- जो नमाज़ इमाम के साथ मिले उसे पढ़लो और जो तुमसे छूट जाए उसे पूरा कर लो”
(बुख़ारी व मुस्लिम)
मुस्लिम ने अपनी रिवायत में ये अल्फ़ाज़ ज्यादा बयान किए हैं।
तुम्हारा एक आदमी जब नमाज़ का क़स्द कर लेता है तो वो नमाज़ की हालत ही में शुमार होता है”
फ़ायदा और मसायल…
इससे मालूम हुआ कि जमाअत के हुसूल के लिए दौड़ भाग करना ममनूअ है क्योंकि ये वक़ार के खिलाफ है, जबकि हुक्म-ए-वकार और सुकुनियत इख़्तियार करने का है, बिल्खुसुस नमाज़ वगैरह के लिए आते वक़्त।
जब इंसान घर से वुज़ू करके निकलता है तो उसी वक़्त से उसे नमाज़ में शुमार कर लिया जाता है।
इमाम के साथ मिलने वाली रकअत मुक़तदी की पहली रकअत होगी, बाद में जो अदा करेगा वो आखरी रकात होंगी।
और ये बात अक़्ल व नक़्ल (दलाएल) के ऐन मुताबिक है।
हवाला-
किताब- रियाज़उस्सालीहीन
जिल्द नम्बर- 1
सफहा- 641, 642