दोस्तों हम इस पोर्टल में विभिन्न धर्मो से जुड़े महापुरुष के बारे में और उनसे जुड़े किस्से और कहानी सुनाते है.आज हम ऐसा ही एक वाकिया लेकर आये है जिसे सुनकर आप हैरान हो जायेंगे लेकिन ईमान तरोताजा हो जायेगा.दोस्तों हुजुर के समय में एक मुस्लिम ख्वातीन जो बहुत दीनदार थी और वो अल्लाह तल्लाह ने उसे खूबसूरती से भी नवाज़ा था.औरत रोजाना नमाज़ और कुरान की तिलावत में ही ज्यादा से ज्यादा वक़्त गुजारती थी.
ख्वातीन की शादी एक सहाबी से हुई,सहाबी पैसे से काफी मालदार थे.घर में किसी तरह की कोई दिक्कत नही थी.ख्वातीन अपने शौहर को खादिम मानकर उसकी सेवा करने का मौका नही गवाँती थी.सहाबी भी ख्वातीन को मोहब्बत और उसकी हर ख्वाइश पूरा करता थे.एक दिन सहाबी की हलकी सी तबियत नासाज़ थी.इससे ख्वातीन परेशान हो उठी,ये देखकर सहाबी ने कहाकि आप एक दीनदार शरीके हयात है और ये मेरी खुश नसीबी है मैं हर वो चीज़ आपको देने का वादा करता हु जो मुझे अल्लाह ने पूरा करने की हैसियत दी है.
ये सुनकर ख्वातीन ने कहाकि आप मेरी हर ख्वाइश को पूरा करेंगे,शौहर ने कहाकि हां बिलकुल लेकिन जिस चीज़ की अल्लाह ने मुझे हैसियत दी है वो ही.इस पर ख्वातीन ने कहाकि मैं एक ऐसी चीज़ मांगना चाहती हु जो आप दे सकते है.शौहर ने कहाकि अगर मेरी अख्तियार में है तो फिर मैं ज़रूर आपको दूंगा ऐसी नेक और स्वाले है आप कि मुझे आपको खुश रखना फ़र्ज़ है.आप मांगिये क्या चाहती है आप?
इस पर ख्वातीन ने कहाकि आप मुझे तलाक दे दीजिये.ये सुनकर शौहर परेशान हो गये,बोले-क्या मुझसे कोई गलती हुई है और क्या आप मुझे पसंद नही करती है.इस पर ख्वातीन ने कहाकि मैं आप से बेपनाह मोहब्बत करती हु और आप ने मेरी साथ कोई ज्यादती नही की.लेकिन इसके बाद भी मैं तलाक चाहती हु.इस पर सहाबी ने कहाकि कोई रिश्ता ज़बरदस्ती नही चल सकता है अगर आप तलाक चाहती है फिर मैं आपको दे दूंगा लेकिन नबी ऐ करीम को पहले मसला बतायेंगे उसके बाद.कल हम नबी ऐ करीम के पास अपना मसला लेकर चलेंगे.अब वो हमारा फैसला करेंगे.
ये सुनकर ख्वातीन खुश हो गयी.ख्वातीन और सहाबी ने सुबह उठकर नमाज़ अदा की,उसके बाद ख्वातीन ने सहाबी से नबी ऐ करीम के पास चलने को कहा ताकि उनके तलाक पर फैसला हो जाए.सहाबी उठे और अपनी अलिया के साथ चल दिए.लेकिन जैसे ही वो घर से निकले किसी चीज़ में फस्नकर गिर गये और चोट खा गये.सहाबी दर्द से अपने को बेज़ार पा रहे थे इस पर ख्वातीन परेशान हो गयी.ख्वातीन ने कहाकि अब घर चलेंगे अब तलाक लेने की कोई ज़रूरत नही.ये सुनकर सहाबी खुश हुए लेकिन हैरान भी हो गये.
जब सहाबी को कुछ आराम मिला तो उन्होंने बीबी से पूछा,आप ने बताया नही आखिर आप तलाक क्यों लेना चाहती थी?इस पर ख्वातीन ने कहाकि एक दिन आप नबी ऐ करीम के फरमान का ज़िक्र कर रहे थे कि उन्होंने फ़रमाया है कि जिस को भी परेशानी का सामना होता है अल्लाह उसका इम्तिहान लेता है और जो आराम से ज़िन्दगी बसर कर रहा है वो अल्लाह के इम्तिहान से दूर है.मैं सालो से इस घर में हूँ आज तक कोई परेशानी या किसी भी दिक्कत का सामना घर में नही हुआ,कभी ना आपकी और ना मेरी तबियत खराब नही हुई.मैं ये सोचती थी कोई परेशानी क्यों नही आई?इसलिए मुझे लगता था शायद इबादत में कोई कमी रह गयी.
लेकिन जब हम घर से निकले फिर अल्लाह ने एक परेशानी दी जिस पर मैं अल्लाह का शुक्र करती हु क्युकि परेशानी के वक्त ही हम अल्लाह को सच्चे मन से याद करते है.
ख्वातीन की शादी एक सहाबी से हुई,सहाबी पैसे से काफी मालदार थे.घर में किसी तरह की कोई दिक्कत नही थी.ख्वातीन अपने शौहर को खादिम मानकर उसकी सेवा करने का मौका नही गवाँती थी.सहाबी भी ख्वातीन को मोहब्बत और उसकी हर ख्वाइश पूरा करता थे.एक दिन सहाबी की हलकी सी तबियत नासाज़ थी.इससे ख्वातीन परेशान हो उठी,ये देखकर सहाबी ने कहाकि आप एक दीनदार शरीके हयात है और ये मेरी खुश नसीबी है मैं हर वो चीज़ आपको देने का वादा करता हु जो मुझे अल्लाह ने पूरा करने की हैसियत दी है.
ये सुनकर ख्वातीन ने कहाकि आप मेरी हर ख्वाइश को पूरा करेंगे,शौहर ने कहाकि हां बिलकुल लेकिन जिस चीज़ की अल्लाह ने मुझे हैसियत दी है वो ही.इस पर ख्वातीन ने कहाकि मैं एक ऐसी चीज़ मांगना चाहती हु जो आप दे सकते है.शौहर ने कहाकि अगर मेरी अख्तियार में है तो फिर मैं ज़रूर आपको दूंगा ऐसी नेक और स्वाले है आप कि मुझे आपको खुश रखना फ़र्ज़ है.आप मांगिये क्या चाहती है आप?
इस पर ख्वातीन ने कहाकि आप मुझे तलाक दे दीजिये.ये सुनकर शौहर परेशान हो गये,बोले-क्या मुझसे कोई गलती हुई है और क्या आप मुझे पसंद नही करती है.इस पर ख्वातीन ने कहाकि मैं आप से बेपनाह मोहब्बत करती हु और आप ने मेरी साथ कोई ज्यादती नही की.लेकिन इसके बाद भी मैं तलाक चाहती हु.इस पर सहाबी ने कहाकि कोई रिश्ता ज़बरदस्ती नही चल सकता है अगर आप तलाक चाहती है फिर मैं आपको दे दूंगा लेकिन नबी ऐ करीम को पहले मसला बतायेंगे उसके बाद.कल हम नबी ऐ करीम के पास अपना मसला लेकर चलेंगे.अब वो हमारा फैसला करेंगे.
ये सुनकर ख्वातीन खुश हो गयी.ख्वातीन और सहाबी ने सुबह उठकर नमाज़ अदा की,उसके बाद ख्वातीन ने सहाबी से नबी ऐ करीम के पास चलने को कहा ताकि उनके तलाक पर फैसला हो जाए.सहाबी उठे और अपनी अलिया के साथ चल दिए.लेकिन जैसे ही वो घर से निकले किसी चीज़ में फस्नकर गिर गये और चोट खा गये.सहाबी दर्द से अपने को बेज़ार पा रहे थे इस पर ख्वातीन परेशान हो गयी.ख्वातीन ने कहाकि अब घर चलेंगे अब तलाक लेने की कोई ज़रूरत नही.ये सुनकर सहाबी खुश हुए लेकिन हैरान भी हो गये.
जब सहाबी को कुछ आराम मिला तो उन्होंने बीबी से पूछा,आप ने बताया नही आखिर आप तलाक क्यों लेना चाहती थी?इस पर ख्वातीन ने कहाकि एक दिन आप नबी ऐ करीम के फरमान का ज़िक्र कर रहे थे कि उन्होंने फ़रमाया है कि जिस को भी परेशानी का सामना होता है अल्लाह उसका इम्तिहान लेता है और जो आराम से ज़िन्दगी बसर कर रहा है वो अल्लाह के इम्तिहान से दूर है.मैं सालो से इस घर में हूँ आज तक कोई परेशानी या किसी भी दिक्कत का सामना घर में नही हुआ,कभी ना आपकी और ना मेरी तबियत खराब नही हुई.मैं ये सोचती थी कोई परेशानी क्यों नही आई?इसलिए मुझे लगता था शायद इबादत में कोई कमी रह गयी.
लेकिन जब हम घर से निकले फिर अल्लाह ने एक परेशानी दी जिस पर मैं अल्लाह का शुक्र करती हु क्युकि परेशानी के वक्त ही हम अल्लाह को सच्चे मन से याद करते है.