बॉलीवुड के महान एक्टर, डायलॉग राइटर कादर खान हमारे बीच नहीं रहे. 81 साल की उम्र में उन्होंने कनाडा स्थित टोरंटो के अस्पताल में आखिरी सांस ली. आपको बता दें कि कादर खान किसी भी शख्स के लिए एक बहुत प्रेरणा हैं, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे दुख झेले हैं, जिसे झेलने का दम आम इंसान में नहीं होता है.
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कादर खान ने अपने बचपन के संघर्ष के दिनों को याद किया था. कादर खान के मां बाप अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से थोड़ी दूर रहते थे. कादर खान से पहले उनके तीन भाई हुए, जिनकी 8 साल की उम्र में ही मौत हो गई थी. जब कादर खान का जन्म हुआ तो उनकी मां ने भारत आने का फैसला किया.
कादर खान के माता-पिता मुंबई में बस गए. कादर खान का बचपन मुंबई के स्लम एरिया में बीता. कादर खान के मुताबिक वहां शराब, जुआखाने तो थे ही, इसके साथ-साथ वहां हत्याएं भी होती थीं. कादर खान के सौतेले पिता भी कुछ काम नहीं करते थे.
वो कादर खान को पहले पिता के पास पैसे लेने भेजते थे. कादर खान ने इंटरव्यू में बताया था कि वो एक रुपये का दाल-आटा और घासलेट लाते थे और हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खाना खाते थे.बाकी दिन उन्हें भूखा रहना पड़ता था. गरीबी देख कादर खान ने बचपन में मजदूरी करने का फैसला किया लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक पढ़ने-लिखने की सलाह दी.
कादर खान को उनकी मां ने ‘पढ़’ शब्द कुछ इस अंदाज में कहा कि उनकी जिंदगी ही बदल गई. कादर खान को दूसरों की नकल करने का शौक था. वो दिन-भर जिसे देखते उसकी नकल घर के पास बने कब्रिस्तान में करते थे.
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कादर खान ने अपने बचपन के संघर्ष के दिनों को याद किया था. कादर खान के मां बाप अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से थोड़ी दूर रहते थे. कादर खान से पहले उनके तीन भाई हुए, जिनकी 8 साल की उम्र में ही मौत हो गई थी. जब कादर खान का जन्म हुआ तो उनकी मां ने भारत आने का फैसला किया.
कादर खान के माता-पिता मुंबई में बस गए. कादर खान का बचपन मुंबई के स्लम एरिया में बीता. कादर खान के मुताबिक वहां शराब, जुआखाने तो थे ही, इसके साथ-साथ वहां हत्याएं भी होती थीं. कादर खान के सौतेले पिता भी कुछ काम नहीं करते थे.
वो कादर खान को पहले पिता के पास पैसे लेने भेजते थे. कादर खान ने इंटरव्यू में बताया था कि वो एक रुपये का दाल-आटा और घासलेट लाते थे और हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खाना खाते थे.बाकी दिन उन्हें भूखा रहना पड़ता था. गरीबी देख कादर खान ने बचपन में मजदूरी करने का फैसला किया लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक पढ़ने-लिखने की सलाह दी.
कादर खान को उनकी मां ने ‘पढ़’ शब्द कुछ इस अंदाज में कहा कि उनकी जिंदगी ही बदल गई. कादर खान को दूसरों की नकल करने का शौक था. वो दिन-भर जिसे देखते उसकी नकल घर के पास बने कब्रिस्तान में करते थे.