आज हर कोई इस्लाम को बदनाम करना चाहता है लेकिन इस्लाम की अच्छाई और सच्चाई कुछ और ही है। इस्लाम में बहुत ऐसे वाक़्या है जो आपकी आंखों में आंसू ला देंगे। उनमें से एक आज हम आप लोगों को बताने जा रहे हैं। आज ही नही हर जमाने में लोगों ने इस्लाम को बदनाम करना चाहा था, एक समय था जब मोहम्मद साहब अरब में इंसानियत फैला रहे थे लोगों को इस्लाम से रूबरू करवा रहे थे तब भी लोगों ने उनके खिलाफ बहुत सी साजिश रची। अरब के लोगों को उनके बारे में गलत गलत बातें बताते थे।
एक बार का वाक़्या है कि एक बूढ़ी औरत बाजार से समान ले कर लौट रही औरत काफी बूढ़ी थी वह चल भी नही पा रही थी और उसके पास समान के थैले भी थे। बहुत से लोग उस बूढ़ी औरत को देख रहे थे लेकिन कोई उसकी मद्दत करने को आगे नही आया। उसी वक़्त प्यारे नबी मोहम्मद साहब वहाँ से गुजर रहे थे।
उन्होंने यह सब माज़रा देखा और फ़ौरन उस बूढ़ी अम्मा से पूछा क्या मैं आपकी मदद कर दु अम्मा। उस बूढ़ी औरत ने कहा हाँ एक थैली उठा लो दूसरा मैं खुद उठा लुंगी। मोहम्मद साहब ने अम्मा तुम रहने दो मैं दोनों उठा लूंगा। और उनके हाथों से सारा सामान ले लिया और उन्हें घर तक पहुँचाने लगे। पूरे रास्ते वह बूढ़ी औरत आपको दुआएं देती जा रही थी। रास्ते में चलते चलते उस बूढ़ी औरत ने कहा बेटा तुम बड़े भले मालूम होते हो। लगता है मक्का में नए हो मैंने तुम्हें पहले कभी देखा नही। लेकिन तुम्हे एक बात से आगाह कर देती हूं सुना है मक्का में एक नौजवान आदमी घूम रहा है जो लोगों पर जादू करता है। उससे बचकर रहना उस के जाल में कभी मत हटना वह एक ऐसा आदमी है जो कि मियां बीवी में भी फूट डाल देता है।
बच्चे और बाप यहां तक कि भाई भाई में भी फूट डाल देता है। तुम्हें मैंने अपना बेटा समझ कर ये सब बताया है। आपकी आँखों में आंसू आगये यह सब सुन कर। और कहाँ ठीक है अम्मा में चलता हूँ कोई जरूरत पड़े तो याद करना। आपकी आँखों में आंसू देख कर उस बूढ़ी औरत ने कहा बेटा तू क्यों रो रहा है, तुझे मेरा वास्ता मुझे बता कर जा। आप ने जवाब दिया कि जिस मोहम्मद से आप मुझे दूर रहने के लिए कह रही हैं और जिस मोहम्मद को आप जादूगर कह रही हैं वह मोहम्मद मैं ही हूं। ये सुन कर वह औरत भी रोने लगी और बोली अगर तू ही वह मोहम्मद हैं तो मैं दुआ करती हूं पूरे मक्का में तेरे जैसे ही मोहम्मद हो।
एक बार का वाक़्या है कि एक बूढ़ी औरत बाजार से समान ले कर लौट रही औरत काफी बूढ़ी थी वह चल भी नही पा रही थी और उसके पास समान के थैले भी थे। बहुत से लोग उस बूढ़ी औरत को देख रहे थे लेकिन कोई उसकी मद्दत करने को आगे नही आया। उसी वक़्त प्यारे नबी मोहम्मद साहब वहाँ से गुजर रहे थे।
उन्होंने यह सब माज़रा देखा और फ़ौरन उस बूढ़ी अम्मा से पूछा क्या मैं आपकी मदद कर दु अम्मा। उस बूढ़ी औरत ने कहा हाँ एक थैली उठा लो दूसरा मैं खुद उठा लुंगी। मोहम्मद साहब ने अम्मा तुम रहने दो मैं दोनों उठा लूंगा। और उनके हाथों से सारा सामान ले लिया और उन्हें घर तक पहुँचाने लगे। पूरे रास्ते वह बूढ़ी औरत आपको दुआएं देती जा रही थी। रास्ते में चलते चलते उस बूढ़ी औरत ने कहा बेटा तुम बड़े भले मालूम होते हो। लगता है मक्का में नए हो मैंने तुम्हें पहले कभी देखा नही। लेकिन तुम्हे एक बात से आगाह कर देती हूं सुना है मक्का में एक नौजवान आदमी घूम रहा है जो लोगों पर जादू करता है। उससे बचकर रहना उस के जाल में कभी मत हटना वह एक ऐसा आदमी है जो कि मियां बीवी में भी फूट डाल देता है।
बच्चे और बाप यहां तक कि भाई भाई में भी फूट डाल देता है। तुम्हें मैंने अपना बेटा समझ कर ये सब बताया है। आपकी आँखों में आंसू आगये यह सब सुन कर। और कहाँ ठीक है अम्मा में चलता हूँ कोई जरूरत पड़े तो याद करना। आपकी आँखों में आंसू देख कर उस बूढ़ी औरत ने कहा बेटा तू क्यों रो रहा है, तुझे मेरा वास्ता मुझे बता कर जा। आप ने जवाब दिया कि जिस मोहम्मद से आप मुझे दूर रहने के लिए कह रही हैं और जिस मोहम्मद को आप जादूगर कह रही हैं वह मोहम्मद मैं ही हूं। ये सुन कर वह औरत भी रोने लगी और बोली अगर तू ही वह मोहम्मद हैं तो मैं दुआ करती हूं पूरे मक्का में तेरे जैसे ही मोहम्मद हो।