सोमवार को पुलिस और महाव गांव के लोगों के बीच हुई झड़प ने हिंसक रूप ले लिया. इसमें SO सुबोध कुमार सिंह और एक युवक की मौत हो गई थी. पुलिस अधिकारियों की प्रारंभिक जांच और बुलंदशहर घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान इस घटना में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए योजनाबद्ध प्रयासों की ओर इशारा कर रहे हैं.
SO की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उन्हें सिर में गोली मारी गई थी. वहीं 20 वर्षीय सुमित की मौत पुलिस की जवाबी गोलीबारी में हुई. हालांकि इन सब घटनाओं से यह शक भी होता है कि कहीं इनके पीछे कोई साजिश तो नहीं?
गाय काटने वाला ऐसा तो नहीं करेगा
महाव गांव में घटनास्थल तक पहुंचने वाले अधिकारियों में तहसीलदार राजकुमार भास्कर का नाम भी है. उन्होंने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा, ‘गाय के मांस को गन्ने के खेत में लटकाया गया था. गाय के सिर और चमड़ी को कुछ इस तरीके से लटकाया गया था जैसे कि एक हैंगर पर कपड़े लटकाए जाते हैं. यह अजीब बात है क्योंकि कोई भी जो गाय काटेगा वो उसे इस तरह उसका प्रदर्शन कभी नहीं करेगा. यह दूर से दिखाई दे रहा था.’
तहसीलदार के मुताबिक जैसे ही मांस की खबर फैली, हिंदू युवा वाहिनी, शिवसेना और बजरंग दल के सदस्य मौके पर पहुंच गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया. तब भीड़ ने एक ट्रैक्टर पर शव को लोड किया और विरोध के लिए बुलंदशहर-गढ़मुक्तेशवर राज्य राजमार्ग की ओर ले जाने की कोशिश की.
घटना का स्थान और समय भी संदेह को ईंधन देता है. क्योंकि बुलंदशहर में लगभग 10 लाख मुस्लिम इकट्ठे हुए थे, सोमवार को तबलीगी जमात के इज्तेमा का आखिरी दिन था. इस जमात के ज्यादातर लोग इसी मार्ग से वापस लौटने वाले थे जिस पर प्रदर्शनकारी जाने की कोशिश कर रहे थे.
लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी
बुलंदशहर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अनुज झा ने कहा कि उन्हें 11 बजे जानकारी मिली थी. उन्होंने बताया कि उस प्रतिरोध के दौरान कुछ असमाजिक तत्वों ने हिंसक रूप अख्तियार किया तो उन पर हल्के बल का प्रयोग किया गया. इसके बाद लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी.
इस संघर्ष के दौरान स्याना SO सुबोध कुमार सिंह को गोली लग गई और उनके गनर को गंभीर चोटें आईं. कई पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सुबोध कुमार को बचाया जा सकता था. लेकिन गांववालों ने उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दिया.
सुबोध कुमार के ड्राइवर के मुताबिक ‘वह जमीन पर पड़े हुए थे. मैंने उनको कार में लिटा दिया. जैसे ही हम आगे बढ़े तो भीड़ ने ‘मारो-मारो’ चिल्लाना शुरू कर दिया. लोग पेड़ के पीछे से पत्थर फेंक रहे थे. वहां भगदड़ मच गई थी. हमें गन्ने के खेतों से बंदूकों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी.’
न्यूज18 से बातचीत में एक ग्रामीण ने बताया कि घटना के पिछले दिन उन्होंने घटनास्थल पर गाय का मांस नहीं देखा था. उन्होंने कहा, ‘मैं खेत के ठीक सामने रहता हूं. पिछले दिन वहां कोई मांस नहीं था. सोमवार को ही हमने वहां मांस देखा था. इसके अलावा, मैंने मांस काटने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं देखा.’
यूपी पुलिस ने सांप्रदायिक एंगल से किया इनकार
उत्तर प्रदेश पुलिस का इस पूरे मामले पर कहना है कि इस घटना का सांप्रदायिकता से कोई संबंध नहीं है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में कोई भी सांप्रदायिक एंगल होने से भी इनकार किया है. पुलिस के मुताबिक इस घटना का तीन दिन के तबलीगी जमात के इज्तेमा से भी कोई संबंध नहीं है.
बुलंदशहर पुलिस ने ट्वीट कर कहा, ‘कृपया भ्रामक खबर न फैलाएं. इस घटना का इज्तिमा कार्यक्रम से कोई संबंध नही है. इज्तिमा सकुशल संपन्न समाप्त हुआ है. उपरोक्त घटना इज्तिमा स्थल से 45-50 किमी थाना स्याना क्षेत्र मे घटित हुई है जिसमे कुछ उपद्रवियो द्वारा घटना कारित की गई है. इस संबंध मे वैधानिक कार्यवाही की जा रही है.’
साभार- फर्स्ट पोस्ट
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SO की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उन्हें सिर में गोली मारी गई थी. वहीं 20 वर्षीय सुमित की मौत पुलिस की जवाबी गोलीबारी में हुई. हालांकि इन सब घटनाओं से यह शक भी होता है कि कहीं इनके पीछे कोई साजिश तो नहीं?
गाय काटने वाला ऐसा तो नहीं करेगा
महाव गांव में घटनास्थल तक पहुंचने वाले अधिकारियों में तहसीलदार राजकुमार भास्कर का नाम भी है. उन्होंने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा, ‘गाय के मांस को गन्ने के खेत में लटकाया गया था. गाय के सिर और चमड़ी को कुछ इस तरीके से लटकाया गया था जैसे कि एक हैंगर पर कपड़े लटकाए जाते हैं. यह अजीब बात है क्योंकि कोई भी जो गाय काटेगा वो उसे इस तरह उसका प्रदर्शन कभी नहीं करेगा. यह दूर से दिखाई दे रहा था.’
तहसीलदार के मुताबिक जैसे ही मांस की खबर फैली, हिंदू युवा वाहिनी, शिवसेना और बजरंग दल के सदस्य मौके पर पहुंच गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया. तब भीड़ ने एक ट्रैक्टर पर शव को लोड किया और विरोध के लिए बुलंदशहर-गढ़मुक्तेशवर राज्य राजमार्ग की ओर ले जाने की कोशिश की.
घटना का स्थान और समय भी संदेह को ईंधन देता है. क्योंकि बुलंदशहर में लगभग 10 लाख मुस्लिम इकट्ठे हुए थे, सोमवार को तबलीगी जमात के इज्तेमा का आखिरी दिन था. इस जमात के ज्यादातर लोग इसी मार्ग से वापस लौटने वाले थे जिस पर प्रदर्शनकारी जाने की कोशिश कर रहे थे.
लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी
बुलंदशहर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अनुज झा ने कहा कि उन्हें 11 बजे जानकारी मिली थी. उन्होंने बताया कि उस प्रतिरोध के दौरान कुछ असमाजिक तत्वों ने हिंसक रूप अख्तियार किया तो उन पर हल्के बल का प्रयोग किया गया. इसके बाद लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी.
इस संघर्ष के दौरान स्याना SO सुबोध कुमार सिंह को गोली लग गई और उनके गनर को गंभीर चोटें आईं. कई पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सुबोध कुमार को बचाया जा सकता था. लेकिन गांववालों ने उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दिया.
सुबोध कुमार के ड्राइवर के मुताबिक ‘वह जमीन पर पड़े हुए थे. मैंने उनको कार में लिटा दिया. जैसे ही हम आगे बढ़े तो भीड़ ने ‘मारो-मारो’ चिल्लाना शुरू कर दिया. लोग पेड़ के पीछे से पत्थर फेंक रहे थे. वहां भगदड़ मच गई थी. हमें गन्ने के खेतों से बंदूकों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी.’
न्यूज18 से बातचीत में एक ग्रामीण ने बताया कि घटना के पिछले दिन उन्होंने घटनास्थल पर गाय का मांस नहीं देखा था. उन्होंने कहा, ‘मैं खेत के ठीक सामने रहता हूं. पिछले दिन वहां कोई मांस नहीं था. सोमवार को ही हमने वहां मांस देखा था. इसके अलावा, मैंने मांस काटने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं देखा.’
यूपी पुलिस ने सांप्रदायिक एंगल से किया इनकार
उत्तर प्रदेश पुलिस का इस पूरे मामले पर कहना है कि इस घटना का सांप्रदायिकता से कोई संबंध नहीं है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में कोई भी सांप्रदायिक एंगल होने से भी इनकार किया है. पुलिस के मुताबिक इस घटना का तीन दिन के तबलीगी जमात के इज्तेमा से भी कोई संबंध नहीं है.
बुलंदशहर पुलिस ने ट्वीट कर कहा, ‘कृपया भ्रामक खबर न फैलाएं. इस घटना का इज्तिमा कार्यक्रम से कोई संबंध नही है. इज्तिमा सकुशल संपन्न समाप्त हुआ है. उपरोक्त घटना इज्तिमा स्थल से 45-50 किमी थाना स्याना क्षेत्र मे घटित हुई है जिसमे कुछ उपद्रवियो द्वारा घटना कारित की गई है. इस संबंध मे वैधानिक कार्यवाही की जा रही है.’
साभार- फर्स्ट पोस्ट