गोवा की रहने वाली मुस्लिम युवती को नैशनल एजिलिबिलिटी टेस्ट (NET) में बैठने के लिए हिजाब उतारने को कहा गया। युवती ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए एग्जाम छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी उनके साथ इस तरह का भेदभाव हो चुका है। आहत होकर युवती ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज उठाई है। उनका कहना है कि उन्हें हिजाब पहनने पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है जबकि नन को हेडगियर पहनने की अनुमति दे दी जाती है।
साइकॉलजी से पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्रीधारक और लेखिका 24 साल की सफीना खान सौदागर के फेसबुक पोस्ट के बाद उनके समर्थन में कई लोग सामने आए हैं। सफीना ने दावा किया कि वह NET का एग्जाम देने में असमर्थ रहीं क्योंकि उनसे परीक्षा में बैठने के लिए हिजाब हटाने को कहा गया था। सफीना ने कहा कि उन्हें अलग-अलग मौकों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है क्योंकि वह धार्मिक कारणों से सिर पर हिजाब पहनती हैं।
उन्होंने दावा किया कि पासपोर्ट बनवाते वक्त भी उनके साथ इसी तरह का भेदभाव किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इसी साल जून में जीएमसी स्टाफ ने वार्ड के अंदर जाने से मना कर दिया था जहां उनके पिता के दोस्त भर्ती थे। उन्होंने बताया, ‘हमसे कहा गया कि पहले हिजाब पहने महिलाओं के घुसने पर कुछ घटनाएं हो चुकी हैं और काफी देर बहस के बाद ही हमें प्रवेश मिला था।’
सफीना लिखती हैे, ‘मैंने उनके नियमों को मानते हुए परीक्षा में न बैठने का फैसला किया।’ उन्होंने लिखा, ‘मंगलवार को मैं नेट के एग्जाम में बैठने वाली थीं लेकिन वहां मुझे अनुमति नहीं दी गई। क्यों? क्योंकि मैंने हिजाब उतारने से मना कर दिया। हां, यह बिल्कुल सही है। एक लोकतांत्रिक देश में, एक धर्मनिरपेक्ष समाज और गोवा जैसे फॉरवर्ड राज्य में मुझे एक एग्जाम में बैठने नहीं दिया गया।’
सफीना ने बताया कि उनसे कहा गया कि उन्हें अपने कान दिखाने की जरूरत है और अधिकारियों के साथ काफी देर बातचीत के बाद वह दोबारा से अपना हिजाब इस तरह से बांधने को तैयार हुईं ताकि कान दिखाई दें। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि मुझे वॉशरूम दिखाया गया। उन्होंने मना कर दिया और पुरुषों की मौजूदगी में ही इसे हटाने को कहा जो कि मेरे पारिवारिक सदस्य नहीं थे और यह इस्लाम के खिलाफ है।’सफीना ने आरोप लगाया कि उन्हें यह भी कहा गया कि उन्हें पूरी परीक्षा के दौरान हिजाब हटाकर बैठना होगा इसलिए उन्होंने परीक्षा में न बैठने का फैसला किया। सफीना ने कहा, ‘यह कोई एकमात्र घटना नहीं है। मुझे हिजाब को लेकर इसी तरह की कई घटनाओं का सामना करना पड़ा। पासपोर्ट ऑफिस में भी मेरे साथ ऐसा सलूक किया गया और कहा गया कि नन को उनके हेडगियर के साथ आने की अनुमति है लेकिन मुझे नहीं। जबकि दोनों का मतलब एक ही- विनम्रता, धार्मिक विश्वास और भगवान के लिए हमारा प्यार।
इसे दोहरा मापदंड बताते हुए सफीना ने इस्लाम के अनुसार हिसाब पहनने वाले लोगों ने अपील की है वह इस कथित अन्याय के सामने आए। एक शिक्षा अधिकारीन ने बताया कि वह कैंडिडेट्स से चेकिंग और नकल रोकने के लिए हेडगियर उतारने का निवेदन करते हैं।
साइकॉलजी से पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्रीधारक और लेखिका 24 साल की सफीना खान सौदागर के फेसबुक पोस्ट के बाद उनके समर्थन में कई लोग सामने आए हैं। सफीना ने दावा किया कि वह NET का एग्जाम देने में असमर्थ रहीं क्योंकि उनसे परीक्षा में बैठने के लिए हिजाब हटाने को कहा गया था। सफीना ने कहा कि उन्हें अलग-अलग मौकों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है क्योंकि वह धार्मिक कारणों से सिर पर हिजाब पहनती हैं।
उन्होंने दावा किया कि पासपोर्ट बनवाते वक्त भी उनके साथ इसी तरह का भेदभाव किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इसी साल जून में जीएमसी स्टाफ ने वार्ड के अंदर जाने से मना कर दिया था जहां उनके पिता के दोस्त भर्ती थे। उन्होंने बताया, ‘हमसे कहा गया कि पहले हिजाब पहने महिलाओं के घुसने पर कुछ घटनाएं हो चुकी हैं और काफी देर बहस के बाद ही हमें प्रवेश मिला था।’
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सफीना ने बताया कि उनसे कहा गया कि उन्हें अपने कान दिखाने की जरूरत है और अधिकारियों के साथ काफी देर बातचीत के बाद वह दोबारा से अपना हिजाब इस तरह से बांधने को तैयार हुईं ताकि कान दिखाई दें। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि मुझे वॉशरूम दिखाया गया। उन्होंने मना कर दिया और पुरुषों की मौजूदगी में ही इसे हटाने को कहा जो कि मेरे पारिवारिक सदस्य नहीं थे और यह इस्लाम के खिलाफ है।’सफीना ने आरोप लगाया कि उन्हें यह भी कहा गया कि उन्हें पूरी परीक्षा के दौरान हिजाब हटाकर बैठना होगा इसलिए उन्होंने परीक्षा में न बैठने का फैसला किया। सफीना ने कहा, ‘यह कोई एकमात्र घटना नहीं है। मुझे हिजाब को लेकर इसी तरह की कई घटनाओं का सामना करना पड़ा। पासपोर्ट ऑफिस में भी मेरे साथ ऐसा सलूक किया गया और कहा गया कि नन को उनके हेडगियर के साथ आने की अनुमति है लेकिन मुझे नहीं। जबकि दोनों का मतलब एक ही- विनम्रता, धार्मिक विश्वास और भगवान के लिए हमारा प्यार।
इसे दोहरा मापदंड बताते हुए सफीना ने इस्लाम के अनुसार हिसाब पहनने वाले लोगों ने अपील की है वह इस कथित अन्याय के सामने आए। एक शिक्षा अधिकारीन ने बताया कि वह कैंडिडेट्स से चेकिंग और नकल रोकने के लिए हेडगियर उतारने का निवेदन करते हैं।