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कुरान पाक इन्सानों की हिदायत के लिए नाज़िल किया गया है, पूरी दुनिया के मुस्लिम कुरान पाक को पढ़ते हैं, और इस पर अमल करते हैं, इस में जो बातें बताई गई हैं, उन्हीं के मुताबिक मुस्लिम अपनी जिंदगी गुज़ारते हैं। अल्लाह ताला की जानिब से जितनी किताबें नबियों पर नाज़िल की गई हैं, उन में कुरान पाक ही एक ऐसी किताब है जो आज तक उसी हालत में मौजूद है, इस में किसी तरह की तबदीली नहीं की गई है, और कयामत तक इसी तरह से महफूज रहेगा।कुरान पाक की हिफाजत का जिम्मा अल्लाह ताला ने खुद ले लिया है, इसे कोई मिटा नहीं सकता है, न कोई बदल सकता है, इस दुनिया में बहुत लोगों एन चाहा कि कुरान को मिटा दें लेकिन आज तक कोई इस में कामियाब नहीं हो पाया है, इसकी वजह यह है कि कुरान पाक को करोड़ों मुसलमान याद किए हुये हैं, और छोटे छोटे बच्चे तक पूरी कुरान को अपने सीने में रखे हुये हैं, इस लिए यह किताब कभी एमआईटी नहीं सकती है।
आज दुनिया भर में दारुल हिफ़्ज़ के मदरसे चल रहे हैं, जहां पर बच्चे कुरान पाक को हिफ़्ज़ करते हैं, और एक बैठक में पूरी कुरान सुना देते हैं, वहीं ऐसे भी मदरसे दुनिया भर में चल रहे हैं,
जहां पर कुरान पाक की तफ़सीर बच्चों को पढ़ाई जाती है, बच्चे कुरान को याद करने के साथ साथ उसके मतलब को भी समझते हैं।
आज हम यहाँ पर बात करने जा रहे हैं एक ऐसी बच्ची की जिस ने सिर्फ छ साल की उम्र में कुरान पाक को मुकम्मल कर लिया है। यह बच्ची उत्तर प्रदेश के ज़िला बाराबंकी की रहने वाली है,
बाराबंकी के दरियाबाद कस्बे के बरहुवन गाव में जियाउर रहमान की बेटी जुबेदा रहमान ने सिर्फ छ साल की छोटी सी उम्र में पूरे कुरान को मुकम्मल कर लिया है। इस बच्ची के कारनामे को जिस ने भी सुना है, वह तारीफ कर रहा है।