तेलंगाना विधानसभा चुनाव में दूसरी बार केसीआर ने मुख्यमंत्री पद सम्भाल लिया हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति ने एकतरफा जीत से काग्रेंस , बीजेपी और टीडीपी सहित दूसरे दलों को चारों खानों चित्त कर दिया। टीआरएस के अध्यक्ष चन्द्रशेखर राव फिर से सत्ता पर काबिज हुए। यह जीत केसीआर के लिए कई मायनों में अहम् रही।
पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार टीआरएस ने ज्यादा सीट हासिल की। 2014 में टीआरएस को जहाँ 64 सीट हासिल हुई थी तो अभी यह बढ़कर 88 हो गई। इस बार के तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा हैं जो सिर्फ 1 सीट पर सिमट गई। काग्रेंस ने टीडीपी और अन्य दलों के साथ गठबंधन किया था जिसमें उनके हाथ केवल 21 सीट मिली। बता दे , पिछले तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में काग्रेंस अकेले ही 21 सीट ले आई थी।
टीआरएस की इस जीत में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद उल मुस्लीमिन बैरिस्टर औवेसी की राजनितिक रणनिति का भी हाथ बताया जा रहा हैं। बता दे , कई सीटों पर खुद बैरिस्टर ओवेसी ने टीआरएस के समर्थन में वोट माँगे थे। और जुब्लिहिल्स सीट सहित कई सीटों पर पर टीआरएस को बाहरी तौर पर समर्थन देने को कहा था। इसके बाद की टीआरएस की एकतरफा जीत में कही ना कही ओवैसी की झलक भी नजर आती हैं।
आपको बता दे , ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद उल मुस्लिमिन के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद बैरिस्टर ओवैसी की पार्टी ने तेलंगाना में 7 सीटे जीती हैं। उन्होनें अपने प्रत्याक्षी टोटल 8 सीटों पर खड़े किए थे। जिसमें राजेन्द्रनगर प्रत्याक्षी मिर्जा रहमत बेग दूसरी पॉजीशन पर रहे। बैरिस्टर ओवैसी की राजनितिक सुझबुझ से टीआरएस ने जहाँ सत्ता हासिल की वही वह अपने सभी पूराने गड़ को बचाने में भी कामयाब रहे। औवेसी क्षेत्रिय पार्टी के समर्थन में हमेशा से बोलते रहे हैं। वो चाहते है कि राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें बराबर का सम्मान मिले।
पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार टीआरएस ने ज्यादा सीट हासिल की। 2014 में टीआरएस को जहाँ 64 सीट हासिल हुई थी तो अभी यह बढ़कर 88 हो गई। इस बार के तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा हैं जो सिर्फ 1 सीट पर सिमट गई। काग्रेंस ने टीडीपी और अन्य दलों के साथ गठबंधन किया था जिसमें उनके हाथ केवल 21 सीट मिली। बता दे , पिछले तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में काग्रेंस अकेले ही 21 सीट ले आई थी।
टीआरएस की इस जीत में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद उल मुस्लीमिन बैरिस्टर औवेसी की राजनितिक रणनिति का भी हाथ बताया जा रहा हैं। बता दे , कई सीटों पर खुद बैरिस्टर ओवेसी ने टीआरएस के समर्थन में वोट माँगे थे। और जुब्लिहिल्स सीट सहित कई सीटों पर पर टीआरएस को बाहरी तौर पर समर्थन देने को कहा था। इसके बाद की टीआरएस की एकतरफा जीत में कही ना कही ओवैसी की झलक भी नजर आती हैं।
आपको बता दे , ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद उल मुस्लिमिन के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद बैरिस्टर ओवैसी की पार्टी ने तेलंगाना में 7 सीटे जीती हैं। उन्होनें अपने प्रत्याक्षी टोटल 8 सीटों पर खड़े किए थे। जिसमें राजेन्द्रनगर प्रत्याक्षी मिर्जा रहमत बेग दूसरी पॉजीशन पर रहे। बैरिस्टर ओवैसी की राजनितिक सुझबुझ से टीआरएस ने जहाँ सत्ता हासिल की वही वह अपने सभी पूराने गड़ को बचाने में भी कामयाब रहे। औवेसी क्षेत्रिय पार्टी के समर्थन में हमेशा से बोलते रहे हैं। वो चाहते है कि राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें बराबर का सम्मान मिले।