जाकिर नाईक के भारत प्रत्यर्पण को लेकर मलेशिया सरकार के एक सांसद अनवर इब्राहिम ने कहा कि इसके लिए हमें सबूतों की जरूरत है सिर्फ अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जाकिर नाईक के खिलाफ ‘ठोस सबूत’ मिलने के बाद मलेशिया सरकार कार्रवाई करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक भारत की तरफ से कोई औपचारित सबूत पेश नहीं किए गए हैं. अनवर इब्राहिम भारत दौरे पर हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ परस्पर हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की.
उन्होंने कहा, ‘अभी हमारे पास उनको वापस लाने का सिर्फ अनुरोध है, कागजात और दस्तावेज उपलब्ध कराने जाने चाहिए. मैंने पीएम मोदी को स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के मुद्दों को हमारे द्वारा समर्थन नहीं किया जाएगा.’
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ को इंटरव्यू देते हुए इब्राहिम ने कहा, ‘नाईक का मुद्दा मेरे साथ व्यक्तिगत रूप से नहीं उठाया गया है. जब तक हमें विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है, हम आरोपों का समर्थन नहीं करेंगे. हमें कुछ सबूतों की आवश्यकता है.’
उन्होंने कहा, ‘मलेशिया आंतकवाद को लेकर काफी सख्त है और यदि हमें ठोस सबूत मिलते हैं कि कोई इन चीजों में संलिप्त है तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. सरकार सिर्फ अनुरोध पर कार्रवाई नहीं करेगी.’
मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भी दिया था ऐसा ही बयान
इससे पहले पिछले साल जुलाई में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी कहा था कि वह भारत के विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाईक को आसानी से महज इसीलिए नहीं प्रत्यर्पित कर देंगे क्योंकि भारत ऐसा चाहता है. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार हमेशा सुनिश्चित करेगी कि वह इस तरह की किसी मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी कारकों पर विचार करें, ‘अन्यथा कोई पीड़ित बन जाएगा.’
उन्होंने कहा था, ‘हम आसानी से दूसरे की मांगों का पालन नहीं करते हैं. हमें अपना जवाब देने से पहले सभी कारकों को देखना चाहिए. नाईक को मलेशिया में रहने की इजाजत होगी जब तक कि वह कोई समस्या नहीं खड़ी करता.’
क्या है नाईक के खिलाफ पूरा मामला
भारत सरकार ने जाकिर नाईक और उसके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया है और इसे गैरकानूनी संगठन घोषित किया है. नाईक पर अपने भड़काऊ भाषण के जरिए नफरत फैलाने, समुदायों में दुश्मनी को बढ़ावा देने और आतंकवाद का वित्तपोषण करने का आरोप है. जाकिर नाईक वर्तमान में मलेशिया का स्थायी निवासी है.
जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है. नाईक ने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं.
एनआईए ने मुंबई ब्रांच में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जाकिर के खिलाफ 18 नवंबर, 2016 को केस दर्ज किया था. नाइक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है.
जाकिर पर IRF की धारा 10 UA (P) और IPC की 120B, 153A, 295A, 298 और 505(2) धाराएं लगाई गईं हैं. जांच में यह पाया गया था कि जाकिर नाइक अपने भाषणों से विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा कर रहा था.
उन्होंने कहा, ‘अभी हमारे पास उनको वापस लाने का सिर्फ अनुरोध है, कागजात और दस्तावेज उपलब्ध कराने जाने चाहिए. मैंने पीएम मोदी को स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के मुद्दों को हमारे द्वारा समर्थन नहीं किया जाएगा.’
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ को इंटरव्यू देते हुए इब्राहिम ने कहा, ‘नाईक का मुद्दा मेरे साथ व्यक्तिगत रूप से नहीं उठाया गया है. जब तक हमें विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है, हम आरोपों का समर्थन नहीं करेंगे. हमें कुछ सबूतों की आवश्यकता है.’
उन्होंने कहा, ‘मलेशिया आंतकवाद को लेकर काफी सख्त है और यदि हमें ठोस सबूत मिलते हैं कि कोई इन चीजों में संलिप्त है तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. सरकार सिर्फ अनुरोध पर कार्रवाई नहीं करेगी.’
मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भी दिया था ऐसा ही बयान
इससे पहले पिछले साल जुलाई में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी कहा था कि वह भारत के विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाईक को आसानी से महज इसीलिए नहीं प्रत्यर्पित कर देंगे क्योंकि भारत ऐसा चाहता है. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार हमेशा सुनिश्चित करेगी कि वह इस तरह की किसी मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी कारकों पर विचार करें, ‘अन्यथा कोई पीड़ित बन जाएगा.’
उन्होंने कहा था, ‘हम आसानी से दूसरे की मांगों का पालन नहीं करते हैं. हमें अपना जवाब देने से पहले सभी कारकों को देखना चाहिए. नाईक को मलेशिया में रहने की इजाजत होगी जब तक कि वह कोई समस्या नहीं खड़ी करता.’
क्या है नाईक के खिलाफ पूरा मामला
भारत सरकार ने जाकिर नाईक और उसके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया है और इसे गैरकानूनी संगठन घोषित किया है. नाईक पर अपने भड़काऊ भाषण के जरिए नफरत फैलाने, समुदायों में दुश्मनी को बढ़ावा देने और आतंकवाद का वित्तपोषण करने का आरोप है. जाकिर नाईक वर्तमान में मलेशिया का स्थायी निवासी है.
जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है. नाईक ने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं.
एनआईए ने मुंबई ब्रांच में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जाकिर के खिलाफ 18 नवंबर, 2016 को केस दर्ज किया था. नाइक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है.
जाकिर पर IRF की धारा 10 UA (P) और IPC की 120B, 153A, 295A, 298 और 505(2) धाराएं लगाई गईं हैं. जांच में यह पाया गया था कि जाकिर नाइक अपने भाषणों से विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा कर रहा था.