किसी भी पिता के लिए इससे बड़ी खुशी और दूसरी नहीं हो सकती कि उसकी बेटी कामयाबी में उससे भी एक कदम आगे निकल जाए। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रायसेन के बेगमगंज की दो जज बहनों ने। रायसेन जिले के बेगमगंज में रहने वाले एडवोकेट राजकुमार गुप्ता की बेटी रूपल गुप्ता ने सिविल जज की परीक्षा में मध्यप्रदेश में वरियता सूची में आठवां स्थान प्राप्त कर टॉप किया है, जिससे उनके परिवार सहित नगर में खुशी का माहौल बना है।
नगर के लोग घर पर बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं। इससे पहले रूपल की बड़ी बहन सोनल गुप्ता भी सिविल जज एग्जाम में टॉप कर चुकी हैं । वह वर्तमान में विदिशा जिले में पदस्थ हैं। रूपल डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से विधि विभाग की छात्रा है, जिन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा आयोजित सिविल जज की परिक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम आने के बाद से एडवोकेट राजकुमार गुप्ता का घर अब दो जज बेटियों के नाम से पहचाना जाने लगा है।
रूपल ने सिविल जज की पढाई के लिए इंदौर में पूर्व जज रहमान सर के मार्गदर्शन में विधि विषय से कोचिंग की और मध्यप्रदेश में रायसेन जिले का नाम रोशन किया। जज रूपल गुप्ता ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, छोटे भाई और टीचर को दिया। रूपल ने देश की अन्य बेटियों व सभी छात्रों को संदेश दिया वे अपने लक्ष्य पर ध्यान दें और कड़ी मेहनत करें, क्योंकि अपना बेस्ट देने से ही आप सफलता हासिल कर सकते हैं।
बेटी-बेटा में कभी फर्क नहीं किया : एडवोकेट राजकुमार गुप्ता ने बताया कि मेरी दोनों बेटियां जज बन गई। मैंने बेटी-बेटा में कभी फर्क नहीं किया, जिसका नतीजा आज हम सबके सामने है। मैं बतौर एडवोकेट केस ही लड़ता रहूंगा, मगर मेरी दोनों बेटियां जहां भी जज बनकर जाएंगी, वहां निष्पक्ष फैसले सुनाएंगीं। बेटियों की कामयाबी गर्व की बात है।
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रूपल ने सिविल जज की पढाई के लिए इंदौर में पूर्व जज रहमान सर के मार्गदर्शन में विधि विषय से कोचिंग की और मध्यप्रदेश में रायसेन जिले का नाम रोशन किया। जज रूपल गुप्ता ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, छोटे भाई और टीचर को दिया। रूपल ने देश की अन्य बेटियों व सभी छात्रों को संदेश दिया वे अपने लक्ष्य पर ध्यान दें और कड़ी मेहनत करें, क्योंकि अपना बेस्ट देने से ही आप सफलता हासिल कर सकते हैं।
बेटी-बेटा में कभी फर्क नहीं किया : एडवोकेट राजकुमार गुप्ता ने बताया कि मेरी दोनों बेटियां जज बन गई। मैंने बेटी-बेटा में कभी फर्क नहीं किया, जिसका नतीजा आज हम सबके सामने है। मैं बतौर एडवोकेट केस ही लड़ता रहूंगा, मगर मेरी दोनों बेटियां जहां भी जज बनकर जाएंगी, वहां निष्पक्ष फैसले सुनाएंगीं। बेटियों की कामयाबी गर्व की बात है।