नई दिल्ली: एक गरीब परिवार से निकली प्रतिभा रुबीना सैफी शूटिंग में नई ऊंचाइयों को छूते हुए कई पदक हासिल करे हैं,रुबीना ने उधार की राइफल लेकर पिछले सात सालों में रुबीना ने 50 मीटर .22 राइफल में कई मुकाम हासिल किए। हाल में ही लखनऊ में प्रदेश स्तर पर रुबीना ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया है। जबकि इसके अलावा वो जर्मनी सहित कई देशों में पदक हासिल कर चुकी हैं। अब खेल कोटे से बीएसएफ में रहते हुए शूटिंग स्पर्धाओं में खुद को साबित कर रही है।
मजदूरी करने वाले हाजी गफ्फार सैफी की बेटी रुबीना इन दिनों शूटिंग में नाम कमा रही हैं। दसवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान एनसीसी में रहते हुए शूटिंग के शौक ने रुबीना को नई दिशा दी। 2012 में रुबीना ने शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। अगले ही साल दिल्ली के करणी सिंह शूटिंग रेंज में ट्रायल के दौरान उनका चयन जर्मनी अंतरराष्ट्रीय शूटिंग के लिए हो गया। जिसमें रुबीना ने छठी रैंक हासिल की।
चार नेशनल स्पर्धाओं में भी स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक हासिल किए। लेकिन रुबीना 50 मीटर .22 राइफल के मंहगे खेल ने परिवार की चिंता बढ़ा दी। एनसीसी में रहते हुए वो राइफल से निशाना साधती रही। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण रुबीना ने नौकरी करने का मन बनाया। 2017 में खेल कोटे से रुबीना का चयन बीएसएफ में हो गया।
वो वर्तमान में इंदौर में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। लेकिन आज भी रुबीना के पास अपनी राइफल नहीं है। बीएसएफ की ओर से खेलते हुए विभाग की राइफल मिल जाती है, लेकिन ओपन शूटिंग प्रतियोगिता के लिए रुबीना प्रतिभाग नहीं करती हैं। रुबीना के पिता हाजी गफ्फार सैफी ने बताया ओपन शूटिंग प्रतियोगिता के लिये 40 से 50 हजार रुपये में राइफल किराए पर मिलती है। जबकि उनका बजट इतना नहीं होता।
पिता के अनुसार .22 राइफल की कीमत 10 से 12 लाख रुपये है। लखनऊ में आयोजित 41वीं उप्र शूटिंग चैंपियनशिप में रुबीना ने गोल्ड मेडल जीता। जिसमें 1200 में से 1161 अंक प्राप्त कर खुद को साबित किया। लखनऊ में बीएसएफ की राइफल से निशाना साधते हुए रुबीना ने यह कारनामा किया।
पिता हाजी गफ्फार सैफी ने प्रदेश व केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। खुद की राइफल न होने से रुबीना कामनवेल्थ सहित कई खेलों में शामिल नहीं हो सकी। ओपन प्रतियोगिताओं में शामिल होने से रुबीना भविष्य में आगे बढ़ेगी। पिता का कहना है सरकार को रुबीना के लिये मदद करनी चाहिए।
बीएसएफ में खेलों का प्रतिनिधित्व करने वाली रुबीना सैफी मवाना के कृषक कॉलेज से बीए की पढ़ाई भी कर रही हैं। वो बीए अंतिम वर्ष में हैं। पिता ने बताया कि कॉलेज स्टॉफ रुबीना की पढ़ाई में काफी मदद करता है। यही कारण है खेलों के साथ उसकी पढ़ाई जारी है।
मजदूरी करने वाले हाजी गफ्फार सैफी की बेटी रुबीना इन दिनों शूटिंग में नाम कमा रही हैं। दसवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान एनसीसी में रहते हुए शूटिंग के शौक ने रुबीना को नई दिशा दी। 2012 में रुबीना ने शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। अगले ही साल दिल्ली के करणी सिंह शूटिंग रेंज में ट्रायल के दौरान उनका चयन जर्मनी अंतरराष्ट्रीय शूटिंग के लिए हो गया। जिसमें रुबीना ने छठी रैंक हासिल की।
चार नेशनल स्पर्धाओं में भी स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक हासिल किए। लेकिन रुबीना 50 मीटर .22 राइफल के मंहगे खेल ने परिवार की चिंता बढ़ा दी। एनसीसी में रहते हुए वो राइफल से निशाना साधती रही। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण रुबीना ने नौकरी करने का मन बनाया। 2017 में खेल कोटे से रुबीना का चयन बीएसएफ में हो गया।
वो वर्तमान में इंदौर में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। लेकिन आज भी रुबीना के पास अपनी राइफल नहीं है। बीएसएफ की ओर से खेलते हुए विभाग की राइफल मिल जाती है, लेकिन ओपन शूटिंग प्रतियोगिता के लिए रुबीना प्रतिभाग नहीं करती हैं। रुबीना के पिता हाजी गफ्फार सैफी ने बताया ओपन शूटिंग प्रतियोगिता के लिये 40 से 50 हजार रुपये में राइफल किराए पर मिलती है। जबकि उनका बजट इतना नहीं होता।
पिता के अनुसार .22 राइफल की कीमत 10 से 12 लाख रुपये है। लखनऊ में आयोजित 41वीं उप्र शूटिंग चैंपियनशिप में रुबीना ने गोल्ड मेडल जीता। जिसमें 1200 में से 1161 अंक प्राप्त कर खुद को साबित किया। लखनऊ में बीएसएफ की राइफल से निशाना साधते हुए रुबीना ने यह कारनामा किया।
पिता हाजी गफ्फार सैफी ने प्रदेश व केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। खुद की राइफल न होने से रुबीना कामनवेल्थ सहित कई खेलों में शामिल नहीं हो सकी। ओपन प्रतियोगिताओं में शामिल होने से रुबीना भविष्य में आगे बढ़ेगी। पिता का कहना है सरकार को रुबीना के लिये मदद करनी चाहिए।
बीएसएफ में खेलों का प्रतिनिधित्व करने वाली रुबीना सैफी मवाना के कृषक कॉलेज से बीए की पढ़ाई भी कर रही हैं। वो बीए अंतिम वर्ष में हैं। पिता ने बताया कि कॉलेज स्टॉफ रुबीना की पढ़ाई में काफी मदद करता है। यही कारण है खेलों के साथ उसकी पढ़ाई जारी है।