14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले में 44 जवानों की मौत से देश शोक में था, इसी बीच 26 तरीख को एयर स्ट्राइक की खबर आ गई। और अब बालाकोट मे भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने दावे पेश किये हैं।
भारत के मुताबिक, मंगलवार को हुई एयर स्ट्राइक के दौरान उन्होंने चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद जिसने जम्मू-कश्मीर में अर्धसैनिक पुलिस इकाई के 44 सदस्यों की हत्या की ज़िम्मेदारी ली है, उनका ट्रेनिंग कैंप नष्ट कर दिया था।
हर बदलते दिन के साथ ही इस स्ट्राइक के नए तथ्य सामने आ रहे हैं। भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने स्ट्राइक के दौरान जश्न-ए-मोहम्मद के कई आतंकियों, ट्रेनर, वरिष्ठ कमांडरों और जिहादियों जिन्हें फिदायीन हमलों के लिए ट्रेन किया जा रहा था, के मारे जाने की पुष्टि की है।
एयर वाइस मार्शल आर. जी. के. कपूर ने कहा कि समय से पहले हताहतों के बारे में विवरण प्रदान नहीं किया जा सकता। पर एयर स्ट्राइक द्वारा कैंप को नुकसान पहुँचने के भारतीय सेना के पास विश्वसनीय प्रमाण हैं।
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि एयर स्ट्राईक में ‘ढेर सारे’ आतंकी मारे गए लेकिन पाकिस्तान ने इस बात से साफ इनकार कर दिया। पाकिस्तान के मुताबिक, यह ऑपरेशन एक विफलता थी जिसमें देखा गया कि भारतीय जेट ने बिना किसी को नुकसान पहुंचाए बड़े पैमाने पर खाली पहाड़ी पर बमबारी की।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बालाकोट के जाबा गाँव के वासियों ने बताया कि रात 3 बजे धमाकों की आवाज़ सुनकर वे जाग चार बम क्रेटर और इधर-उधर गिरे देवदार के पेड़ों के अलावा इन धमाकों का कोई और असर नहीं देखा। इलाके में पिकअप वैन चलाने वाले अब्दुर रशीद ने बताया कि, “धमाके ने सब कुछ हिला दिया। पर कोई मानव हताहत नहीं हुआ। कोई मरा नहीं। पेड़ गिर गए। एक कौआ मरा है।”
उन इलाकों में जहां धमाके का असर देखा गया वहां भी किसी ग्रामीण ने स्थानीय ग्रामीण की मौत की खबर नहीं सुनी। बस कुछ लोगों को चोटें ज़रूर आई हैं।
मोहम्मद सिद्दीकी जो जाबा के पास स्थित हॉस्पिटल में ड्यूटी पर थे उन्होंने हमले की रात किसी भी बड़े हताहतों के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा “हमारे पास कोई घायल नहीं आया। केवल एक मरीज़ था जिसे हल्की चोटें आई थीं और जिसका इलाज कर दिया गया था। वो भी यहां नहीं लाया गया था”
इलाके मे जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप के होने या ना होने पर स्थिति साफ़ नहीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि चरमपंथी संघठन जैश-ए-मोहम्मद की इलाके में मौजूदगी होने के बावजूद वो इलाके मे सक्रिय नहीं थे और ना ही उनका कोई ट्रेनिंग कैंप था। जहां बम गिरे वहां से एक किलोमीटर की दूरी पर एक मदरसा है। स्थानीय शख्स नूरान शाह ने कहा, “वहां पर तालीम-उल-क़ुरआन मदरसा है जहाँ गाँव के बच्चे पढ़ने जाते हैं, वहां कोई ट्रेनिंग नहीं होती।”